पुरानी कार लेते वक्त ध्यान रखें ये 10 जरूरी बातें, वरना बाद में बहुत पछताएंगे

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आज के समय में सेकेंड हैंड कार लेना एक समझदारी भरा फैसला हो सकता है, क्योंकि कम कीमत में अच्छी क्वॉलिटी की गाड़ियां मिल जाती हैं। लेकिन, अगर जांच-परख के बिना कार खरीद ली, तो आगे चलकर यह सस्ती डील महंगी पड़ सकती है, तो आइए पुरानी कार खरीदने से पहले ध्यान रखने वाली 10 सबसे अहम बातें जानते हैं, जो आपको एक समझदार खरीदार बनाएंगी। आइए जरा विस्तार से इसकी डिटेल्स जानते हैं।

1- कार की बाहरी और अंदरूनी हालत देखें

सबसे पहले कार को अच्छे से देखें कि क्या कहीं डेंट, जंग या पेंट में फर्क तो नहीं है? अंदर से सीट, डैशबोर्ड, स्टीयरिंग और कंट्रोल्स की हालत जांचें। एक अच्छी तरह मेंटेन की गई कार बाहर से ही भरोसा दिला देती है।

2- इंजन और परफॉर्मेंस की जांच करें

कार का इंजन सबसे अहम हिस्सा होता है। इसलिए, इंजन स्टार्ट कराकर चेक करें कि कोई अजीब आवाज तो नहीं आ रही? इसके अलावा चेक करें कि ऑयल लीक, बेल्ट्स या पाइप में क्रैक तो नहीं है? अगर संभव हो, तो किसी एक्सपर्ट मैकेनिक से इंजन की कंप्रेशन टेस्टिंग करवाएं।

3- सर्विस हिस्ट्री जरूर देखें

हर कार की अपनी सर्विस बुक या रिकॉर्ड होता है। इससे पता चलता है कि पहले मालिक ने समय पर सर्विस कराई या नहीं। अगर रिकॉर्ड अधूरा है, तो यह थोड़ा रिस्क हो सकता है।

4- वाहन के डॉक्यूमेंट जांचें

कार की डील फाइनल करने से पहले सभी कागजों की जांच करें। जैसे कि RC (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट), रोड टैक्स रसीदें, पॉल्यूशन सर्टिफिकेट (PUC), इंश्योरेंस पेपर। यह सब अपडेटेड होने चाहिए।

5- इंश्योरेंस की स्थिति देखें

पुरानी कार के साथ जो इंश्योरेंस है, उसकी वैधता और कवरेज टाइप (थर्ड-पार्टी या कॉम्प्रिहेन्सिव) जांचें। अगर कार पहले किसी एक्सीडेंट या क्लेम में रही है, तो यह भी इंश्योरेंस रिकॉर्ड से पता चल जाएगा। कॉम्प्रिहेन्सिव इंश्योरेंस लेना हमेशा बेहतर रहता है।

6- ओडोमीटर (किलोमीटर रीडिंग) पर ध्यान दें

कुछ लोग ओडोमीटर से छेड़छाड़ करते हैं, ताकि कार का माइलेज कम दिखे। सीट, पैडल या स्टीयरिंग पर घिसावट देखकर अंदाजा लगाएं कि रीडिंग असली है या नहीं।

7- ओनरशिप हिस्ट्री और बैकग्राउंड चेक करें

हर कार का एक व्हीकल आइडेंटटी नंबर- (Vehicle Identification Number -VIN) होता है। इससे आप जान सकते हैं कि कार पहले किन-किन के नाम रही, कभी एक्सीडेंट या साल्वेज केस में तो नहीं रही। साफ-सुथरी हिस्ट्री वाली कार हमेशा सेफ ऑप्शन होती है।

8- ओनरशिप ट्रांसफर और इंश्योरेंस अपडेट

डील पक्की होने के बाद RTO में ओनरशिप ट्रांसफर करवाना जरूरी है। नए मालिक के नाम पर इंश्योरेंस पॉलिसी भी अपडेट कराएं, ताकि कोई लीगल दिक्कत न हो।

9- मार्केट प्राइस जानें और मोलभाव करें

कार खरीदने से पहले ऑनलाइन प्लेटफॉर्म या ऑटो गाइड से उस मॉडल की मौजूदा कीमत पता करें। फिर कार की हालत, माइलेज और रिपेयर कॉस्ट देखकर सही भाव पर बातचीत करें। सेकेंड हैंड कार डील में मोलभाव हमेशा चलता है।

10-प्रोफेशनल इंस्पेक्शन करवाएं

आखिर में कार को किसी ट्रस्टेड मैकेनिक या RTO इंस्पेक्टर से दिखाएं। वो आपको बताएंगे कि कार के नीचे, इंजन के अंदर या सस्पेंशन में कोई छिपी खराबी तो नहीं है। यह रिपोर्ट आपके नेगोशिएशन में भी मदद करेगी।

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