3 अक्टूबर 2025 को शुक्रवार के दिन पापांकुशा एकादशी का व्रत रखा जाएगा, जो आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना विशेष रूप से की जाती है क्योंकि मान्यता है कि पापांकुशा एकादशी पर विष्णु जी की विधिवत पूजा करने से जीवन के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और आत्मा शुद्ध होती है। इस वर्ष इस एकादशी पर सुबह 06:57 बजे से लेकर शाम 06:32 बजे तक भद्रा का साया रहेगा। भद्रा एक ऐसा खगोलीय योग होता है जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होता है और यह काल कुछ अशुभ प्रभाव ला सकता है। हालांकि इस बार चंद्रमा मकर राशि में रहेगा जो शाम 09:27 बजे के बाद कुंभ राशि में जाएगा, इसलिए भद्रा का असर इस बार नकारात्मक नहीं माना जाता। सुबह-शाम के पूजा मुहूर्त

1. ब्रह्म मुहूर्त: 04:38 ए एम से 05:26 ए एम
2. अभिजित मुहूर्त: 11:46 ए एम से 12:34 पी एम
3. विजय मुहूर्त: 02:08 पी एम से 02:55 पी एम
4. गोधूलि मुहूर्त: 06:05 पी एम से 06:29 पी एम
5. अमृत काल: 10:56 पी एम से 12:30 ए एम, अक्टूबर 04
6. सर्वार्थ सिद्धि योग: 06:15 ए एम से 09:34 ए एम
7. रवि योग: 06:15 ए एम से 09:34 ए एम
8. लाभ – उन्नति 07:44 ए एम से 09:12 ए एम
9. अमृत – सर्वोत्तम 09:12 ए एम से 10:41 ए एम
10. शुभ – उत्तम 12:10 पी एम से 01:39 पी एम
11. चर – सामान्य 04:36 पी एम से 06:05 पी एम
पापांकुशा एकादशी के दिन सुबह और शाम के कई शुभ मुहूर्त होते हैं जिनमें ब्रह्म मुहूर्त, अभिजित मुहूर्त, विजय मुहूर्त, और गोधूलि मुहूर्त शामिल हैं। साथ ही इस दिन अमृतकाल और सर्वार्थ सिद्धि योग भी मौजूद रहेंगे, जो पूजा के लिए अत्यंत लाभकारी माने जाते हैं। भक्त इस दिन स्नान कर मंदिर की सफाई करते हैं और भगवान विष्णु का पंचामृत और गंगाजल से जलाभिषेक करते हैं। इसके बाद पीला चंदन और पीले फूल अर्पित किए जाते हैं, साथ ही घी का दीपक प्रज्वलित करके भगवान की आरती की जाती है। व्रती लोग इस दिन व्रत का संकल्प लेकर विष्णु चालीसा और मंत्रों का जाप करते हैं, जिनमें “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”, “ॐ नमो नारायणाय”, “ॐ विष्णवे नमः” तथा “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्ध लक्ष्मी नारायण नमः” प्रमुख हैं।
पूजा के बाद तुलसी के पत्ते सहित भोग लगाया जाता है, जिसमें पंचामृत, फल, ड्राई फ्रूट्स, सात्विक खीर, मालपूआ और मिठाई शामिल होती हैं। इस व्रत को करने से मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन विशेष उपाय के रूप में श्री विष्णु चालीसा का पाठ करना भी अत्यंत फलदायी माना गया है। हालांकि, धार्मिक कर्मकाण्ड और पूजा विधि को करने से पूर्व किसी योग्य पंडित या ज्योतिषाचार्य से सलाह लेना उचित होता है क्योंकि वे परिस्थिति के अनुसार सही मार्गदर्शन दे सकते हैं।
यह दिन अपने आप में अत्यंत पवित्र और शुभ होता है, जो जीवन में नकारात्मकता को दूर कर सुख-शांति लाने वाला माना जाता है। पापांकुशा एकादशी का महत्व न केवल धार्मिक रूप से बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत गहरा है, इसलिए भक्तगण इस दिन पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान विष्णु की पूजा करें।