नई दिल्ली: भारतीय नौसेना की ताकत आज और इजाफा होने जा रहा है। मंगलवार 1 जुलाई को इंडियन नेवी के बेड़े में आईएनएस ‘तमाल’ शामिल होने वाला है। रूस के तटीय शहर कलिनिनग्राद में यह नौसेना का हिस्सा बनेगा। यह युद्धपोत भारतीय नौसेना की ‘स्वॉर्ड आर्म’ यानी पश्चिमी बेड़े में तैनात किया जाएगा।
भारतीय नौसेना के इस नए योद्धा में बहुत सारी खूबियां हैं। इसमें लगे 26 प्रतिशत घटक भारतीय हैं। जिसमें जल और जमीन दोनों पर निशाना साधने वाली घातक लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के साथ-साथ पानी के नीचे यानी पनडुब्बी को तबाह करने वाली टारपीडो और हर मिनट में 50 राउंड फायरिंग करने वाला गन सिस्टम भी शामिल है।
आईएनएस तमाल को लेकर आपके मन में कई तरह के सवाल होंगे! जैसे इसका नाम तमाल ही क्यों रखा गया? यह कितना मारक है? यह भारत के दुश्मनों खासकर पाकिस्तान के लिए काल क्यों कहा जा रहा है? साथ ही यह विदेश में बना आखिरी युद्धपोत क्यों है? जबकि डील के मुताबिक अभी भी रूस से दो युद्धपोत और मिलने बाकी हैं?
INS तमाल क्यों रखा गया नाम?
सबसे पहले हम यह भी जान लें कि आखिर इसका नाम आईएनएस तमाल क्यों रखा गया? जिसका जवाब इसके नाम में ही छिपा हुआ है। तमाल के तीन अर्थ होते हैं पहला- सदाबहार वृक्ष यानी INS तमाल हर मौसम में मजबूती से खड़ा रहने वाला है। दूसरा- वरुण का पौधा। वरुण को जल का देवता भी कहा जाता है और यह युद्धपोत जल से जुड़ा है। तीसरा और सबसे खास अर्थ है इंद्र की तलवार। यानी यह देवताओं के राजा इंद्र की तलवार की तरह मारक होगा।
कितना मारक है INS तमाल?
आईएनस तमाल 125 मीटर लंबा है, जबकि इसका वजन 3900 टन है। वहीं बात करें इसकी स्पीड की तो यह 56 किमी प्रति घंटा की की रफ्तार से समुद्र में कुलांचे भर सकता है। इसके साथ ही इस पर ब्रह्मोस जैसी क्रूज मिसाइलें तैनात की गई हैं जो आवाज की स्पीड से 450 किमी दूर तक के टारगेट को नेस्तनाबूद कर सकती हैं।
करीब से आने वाले खतरों के लिए इसमें AK-630 गन लगी है, जो हर मिनट 5,000 राउंड फायर कर सकती है और ड्रोन या एंटी-शिप मिसाइलों को मार गिराती है। 100 MM वाली ‘A-190-01’ नौसैनिक तोप भी लगी है, जो 80 राउंड प्रति मिनट की दर से बेहद सटीक निशाने लगाती है।
‘SHTIL’ वर्टिकल लॉन्च एयर डिफेंस सिस्टम
‘SHTIL’ वर्टिकल लॉन्च एयर डिफेंस सिस्टम लगा है, जो क्रूज मिसाइलों, हेलिकॉप्टरों, बैलिस्टिक खतरों और समुद्र/तट से आने वाले हमलों को रोक सकती है। पानी के नीचे सबमरीन्स को तबाह करने के लिए हैवीवेट टॉरपीडो और RBU-6000 रॉकेट लॉन्चर लगे हैं।
यह जहाज एयर वार्निंग और मल्टी-रोल हेलिकॉप्टर जैसे कामोव-28 और कामोव-31 हेलिकॉप्टरों को ऑपरेट कर सकता है। इसमें भारत में बना HUMSA NG MK-II सोनार सिस्टम भी लगाया गया है, जो दुश्मन की पनडुब्बियों को खोजने में मदद करता है। यह नेवल वॉरफेयर के चारों आयाम- हवा, पानी, सतह और इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक में हमला कर सकता है।
पाकिस्तान का काल क्यों है तमाल?
INS तमाल को भारतीय नौसेना की ‘स्वॉर्ड आर्म’ यानी ‘पश्चिमी नौसेना कमान’ में तैनात किया जाएगा। यह कमान अरब सागर और पश्चिमी हिंद महासागर पर नज़र रखती है। इस क्षेत्र में कराची बंदरगाह के पास का जल क्षेत्र और भारत का पश्चिमी तट शामिल है। INS तमाल समुद्री सीमाओं की रक्षा करने के साथ तस्करी विरोधी अभियान और समुद्री आपदा से निपटने में भी मदद करेगा।
INS तमाल के शामिल होने से भारतीय नौसेना के बेड़े में 14 फ्रिगेट हो जाएंगे। इससे नेवी की ऑपरेशनल क्षमता और समुद्री सुरक्षा कई गुना मजबूत होगी। INS तमाल मल्टी-रोल फ्रिगेट है, जो हवा, सतह और पानी के नीचे दुश्मन को जवाब देने के काबिल है।
विदेश में बना आखिरी युद्धपोत क्यों?
दरअसल, भारत ने रूस के साथ अक्टूबर 2016 में 21 हजार करोड़ रुपए की एक डील की थी। इस समझौते के तहत भारतीय नौसेना को रूस की क्रिवाक-III क्लास के 4 फ्रिगेट मिलने हैं। जिसमें से दो INS तुशिल और INS तमाल रूस ने बना दिए, जिनकी कीमत करीब 8 हजार करोड़ है। INS तुशिल दिसंबर 2024 में नेवी को सौंपा जा चुका है। जबकि तमाल आज बेड़े में शामिल हो रहा है।
इसके अलावा 2 और फ्रिगेट, INS त्रिपुट और INS तवस्या रूस की मदद से गोवा शिपयार्ड में बन रहे हैं। इसकी लागत करीब 13 हजार करोड़ रुपये है। INS त्रिपुट और INS तवस्या 2026 तक नेवी में कमीशन हो जाएंगे। अब जब बाकी दो फ्रिगेट गोवा में तैयार हो रहे हैं तो इसे विदेश में बना आखिर युद्धपोत ही कहा जाएगा।
क्या बोले भारतीय नौसेना के प्रवक्ता?
भारतीय नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल ने कहा कि युद्धपोत आईएनएस तमाल न केवल भारतीय नौसेना की बढ़ती ताकत का प्रतीक होगा, बल्कि यह भारत और रूस के बीच सामरिक साझेदारी का भी उदाहरण होगा। आईएनएस तमाल पिछले दो दशकों में रूस से भारतीय नौसेना में शामिल होने वाला 8वां क्रिवाक श्रेणी का युद्धपोत होगा।