रियासी में भूस्खलन से एक ही परिवार के 7 लोगों की मौत, रामबन में बादल फटने से भारी तबाही

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Lanslide in Reasi: शनिवार तड़के रियासी जिले के माहौर इलाके के बद्दर गांव में भारी बारिश के चलते भूस्खलन हुआ, जिसमें एक मकान पूरी तरह ढह गया। इस मकान में रहने वाले एक ही परिवार के सात सदस्य मलबे में दब गए और उनकी मौत हो गई। मृतकों में मकान मालिक नजीर अहमद, उनकी पत्नी और पांच नाबालिग बच्चे शामिल हैं। प्रशासन और राहत एजेंसियों ने सातों शवों को मलबे से निकाल लिया है, जबकि आशंका है कि कुछ लोग अब भी मलबे के नीचे हो सकते हैं। इस वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन अब भी जारी है।

रियासी में हो रही भारी बारिश और पहाड़ी इलाका होने के कारण राहत कार्यों में काफी मुश्किलें आ रही हैं। घटना के बाद से पूरे इलाके में शोक और दहशत का माहौल है। उधर, रामबन जिले के राजगढ़ इलाके में भीषण प्राकृतिक आपदा ने कहर बरपाया है। शुक्रवार को ऊपरी इलाकों में बादल फटने से अचानक बाढ़ आ गई। तेज बहाव में कई मकान बह गए और कई घर मलबे में दब गए।

रामबन ने झेली भारी तबाही
रामबन में बादल फटने के बाद कई छोटे पुल और सड़कें भी क्षतिग्रस्त हो गई हैं, जिससे कई गांवों का संपर्क टूट गया है। नदी-नालों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। मौसम विभाग ने पहले ही इन इलाकों के लिए भारी बारिश और बादल फटने की चेतावनी जारी की थी।

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने किया पोस्ट
इस घटना में अब तक तीन लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि चार अन्य लापता हैं। प्रशासन और एनडीआरएफ की टीमें घटनास्थल पर पहुंच चुकी हैं और लगातार राहत एवं बचाव अभियान चला रही हैं। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने ट्वीट कर जानकारी दी कि उन्होंने रामबन के उपायुक्त मोहम्मद अलयास खान से बात की है। मंत्री ने बताया कि राजगढ़ में बादल फटने की वजह से चार लोगों की जान चली गई है और एक व्यक्ति अब भी लापता है। राहत कार्य युद्धस्तर पर जारी है और हरसंभव सहायता दी जा रही है।

जम्मू-कश्मीर में अगस्त में भारी नुकसान
इस महीने जम्मू-कश्मीर के कई जिलों जैसे किश्तवाड़, डोडा, सांबा और कठुआ में भी भारी बारिश, भूस्खलन और फ्लैश फ्लड की घटनाएं हो चुकी हैं। पिछले कुछ हफ्तों में राज्य में 40 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और सैकड़ों परिवार प्रभावित हुए हैं। प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती संख्या राज्य के लिए एक गंभीर चुनौती बनती जा रही है। प्रशासन अलर्ट पर है, लेकिन लगातार बदलते मौसम और दुर्गम इलाकों में राहत पहुंचाना अब भी एक कठिन कार्य बना हुआ है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे सतर्क रहें, अफवाहों से बचें और जरूरी होने पर सुरक्षित स्थानों की ओर प्रस्थान करें।

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