नोएडा: नोएडा के असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर की भाषाई दक्षता और मिशन शक्ति टीम की तत्परता के चलते परिजनों से बिछड़ी दो बच्चियों को कुछ घंटों के अंदर परिवार वालों को सौंप दिया गया। पांच साल और डेढ़ साल की दो बच्चियां अपने परिजनों से बिछड़ गई थीं । इन्हें मिशन शक्ति टीम के केंद्र पर लाया गया और फिर परिजनों का पता लगाकर उन्हें सौंप दिया गया। दरअसल, 5 दिसंबर को पीआरवी के माध्यम से थाना सेक्टर-126 पर सूचना मिली कि थाना क्षेत्रांतर्गत लगभग 5 वर्ष की एक बच्ची, जिसके साथ करीब डेढ़ वर्षीय एक अन्य बच्ची थी, रोती हुई पाई गई। सूचना मिलते ही तत्काल कार्रवाई करते हुए मिशन शक्ति केंद्र पर नियुक्त महिला पुलिसकर्मियों द्वारा दोनों बच्चियों को सुरक्षित केंद्र पर लाया गया। दोनों बच्चियों को पानी पिलाकर संवेदनशील तरीके से पूछताछ की गई।
दोनों बच्चियां केवल बांग्ला जानती थी
पूछताछ में पता चला कि दोनों बच्चियां केवल बंगाली भाषा समझती हैं। भाषा बाधा के कारण वे अपने माता-पिता का नाम, पता या किसी अन्य परिजन की जानकारी स्पष्ट रूप से बताने में असमर्थ थीं। स्थिति को गंभीरता से संज्ञान में लेते हुए थाना सेक्टर-126 के मिशन शक्ति केंद्र की महिला टीम को सक्रिय किया गया। टीम ने बच्चियों को संरक्षण देते हुए उनसे बातचीत शुरू की लेकिन वे बच्चियां हिंदी नही समझ पा रही थीं और बातचीत में भाषा एक बड़ी समस्या बनी रही।
एसीपी-प्रथम प्रवीण कुमार सिंह ने बच्चियों से बात की
इसी दौरान असिस्टेंट पुलिस कमिश्ननर-प्रथम ( सहायक पुलिस आयुक्त-प्रथम), नोएडा जोन, प्रवीण कुमार सिंह गश्त के दौरान थाना सेक्टर-126 पहुंचे। उन्हें जब इस मामले की जानकारी मिली, तो उन्होंने स्वयं बच्चियों से बातचीत की। चूंकि प्रवीण कुमार सिंह बंगाली भाषा जानते हैं, उन्होंने दोनों बच्चियों से अत्यंत स्नेहपूर्ण एवं संवेदनशील तरीके से बात की। पूछताछ करने पर बड़ी बच्ची ने बताया कि वह हाजीपुर अंडरपास से आगे का रास्ता पहचान सकती है।

लेबर कैंप में जाकर बच्चियों को माता-पिता को सौंपा
एसीपी प्रथम प्रवीण कुमार सिंह, पुलिस फोर्स के साथ बच्ची द्वारा बताए गए रास्ते पर चलते हुए सेक्टर-133 स्थित लेबर कैंप पहुंचे, जो हाजीपुर अंडरपास से लगभग 3 किलोमीटर दूर है। वहां पहुंचने पर पाया कि बच्चियों के परिजन उन्हें ढूंढते हुए अत्यंत परेशान स्थिति में इधर-उधर भटक रहे थे। सत्यापन के बाद बच्चियों को विधिक प्रक्रिया के तहत सुरक्षित रूप से उनके माता-पिता के सुपुर्द कर दिया गया।
इस पूरी कवायद में बच्चियों के घर का पता लगाने में पुलिस को 6 घंटे लगे। इस दौरान बच्चियों की मां घरों में झाड़ू पोछा बर्तन करती रही जबकि बच्चियां दोपहर से ही गायब थी। मां को भी पता नहीं चला और ये बच्चियां रास्ता भूलकर 4 किमी दूर चले गए थे। परिजनों ने बच्चियों को सुरक्षित ढूंढकर मिलवाने हेतु गौतमबुद्धनगर पुलिस का हृदय से आभार व्यक्त किया। पुलिस कमिश्नरेट गौतमबुद्धनगर का कहना है कि पुलिस महिलाओं व बच्चों की सुरक्षा एवं त्वरित सहायता हेतु पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है।