बिहार में SIR को लेकर एक भी राजनीतिक पार्टी ने नहीं की आपत्ति, चुनाव आयोग ने जारी कर दी सूची

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नई दिल्ली। बिहार (Bihar) में मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण (Voter List in-depth Revision) को लेकर चुनाव आयोग (Election Commission) ने कहा है कि अभी तक किसी भी राजनीतिक पार्टी एसआईआर (SIR) को लेकर एक भी आपत्ति का दावा नहीं किया है। चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में सभी राजनीतिक पार्टियों की सूची भी जारी कर दी है, जिसमें बताया गया है कि किसी भी पार्टी ने 1 अगस्त को बिहार में मतदाता सूची के प्रारूप के प्रकाशन के बाद से 6 अगस्त (सुबह 9 बजे) तक अभी तक एसआईआर को लेकर कोई आपत्ति नहीं की है।

चुनाव आयोग द्वारा जारी सूची के अनुसार, बिहार में राजद के 47,506 बूथ लेवल एजेंट्स हैं, लेकिन किसी पार्टी की तरफ से एसआईआर को लेकर कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई गई है। इसी तरह कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के 1,496 बीएलए हैं, लेकिन किसी भी बीएलए की तरफ से कोई आपत्ति नहीं जताई गई है। चुनाव आयोग ने कहा कि 12 राजनीतिक दलों के जिला अध्यक्षों द्वारा नामित 1.60 लाख बूथ स्तरीय एजेंटों ने जमीनी स्तर पर इस प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लिया।

चुनाव आयोग ने कहा कि प्रारूप सूची के संबंध में मतदाताओं से सीधे 3,659 दावे और आपत्तियां प्राप्त हुई हैं। नियमों के अनुसार, दावों और आपत्तियों का निपटारा संबंधित निर्वाचक पंजीयन अधिकारी/सहायक निर्वाचक पंजीयन अधिकारी द्वारा 7 दिनों की समाप्ति के बाद किया जाना है। आदेशों के अनुसार, 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित मसौदा सूची से किसी भी नाम को, ईआरओ/एईआरओ द्वारा निष्पक्ष जांच करने और सुनवाई का उचित अवसर दिए जाने के बाद स्पष्ट आदेश पारित किए बिना नहीं हटाया जा सकता।

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के मुद्दे पर राजनीतिक विवाद चल रहा है। विपक्षी दलों का आरोप है कि मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया से बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं। विपक्षी दल मानसून सत्र की शुरुआत से ही बिहार एसआईआर के मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहे हैं और इसे लेकर संसद में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। विशेष गहन पुनरीक्षण 2025 के तहत गणना चरण के पूरा होने के बाद चुनाव आयोग ने बिहार के लिए मसौदा मतदाता सूची जारी की। चुनाव आयोग ने कहा जनता के पास दावे और आपत्तियां पेश करने के लिए एक महीने का समय है, और आश्वासन दिया कि बिना किसी कारण के मसौदा मतदाता सूची से कोई नाम नहीं हटाया जाएगा। बिहार में एसआईआर के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 35 लाख मतदाता या तो स्थायी रूप से पलायन कर गए हैं या उनके पंजीकृत पते पर उनका पता नहीं लगाया जा सका है।

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