PM मोदी ने G20 में रखा 6 नई पहलों का प्रस्ताव, बोले- भारतीय मूल्य प्रगति को आगे बढ़ा सकते हैं

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को जी20 शिखर सम्मेलन में दो महत्वपूर्ण पहलों का प्रस्ताव रखा, जिसमें देशों के बीच सैटेलाइट डेटा को अधिक सुलभ बनाने के लिए एक जी20 ओपन सैटेलाइट डेटा पार्टनरशिप और एक जी20 क्रिटिकल खनिज चक्रीय पहल की स्थापना शामिल है। इन दोनों पहलों से वैश्विक दक्षिण के देशों को लाभ हो सकता है। यहां जी20 शिखर सम्मेलन के दूसरे सत्र का विषय ‘लचीला विश्व – आपदा जोखिम न्यूनीकरण, जलवायु परिवर्तन, न्यायसंगत ऊर्जा परिवर्तन और खाद्य प्रणालियों में जी20 का योगदान’ था। इस सत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने खाद्य सुरक्षा और पोषण पर उच्च-स्तरीय सिद्धांत पर आधारित एक रोडमैप बनाने पर भी जोर दिया।

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को पूरी मानवता के लिए फायदेमंद बताते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा: “भारत का मानना है कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से पूरी मानवता को लाभ हो। इसलिए, भारत जी20 ओपन सैटेलाइट डेटा पार्टनरशिप का प्रस्ताव कर रहा है। इससे जी20 अंतरिक्ष एजेंसियों का सैटेलाइट डेटा और विश्लेषण दक्षिणी देशों के लिए अधिक सुलभ, अंतर-कार्यकारी और उपयोगी बनाया जा सकेगा।”

महत्वपूर्ण खनिजों पर जोर देते हुए, श्री मोदी ने कहा कि वैश्विक विकास के लिए स्थिरता और स्वच्छ ऊर्जा आवश्यक हैं, जिसमें इन खनिजों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने इन खनिजों को “मानवता की साझी संपदा” बताया। उन्होंने कहा: “इसलिए, भारत जी20 क्रिटिकल खनिज चक्रीय पहल का प्रस्ताव रखता है। यह पहल री-साइक्लिंग, अर्बन माइनिंग और सेकंड-लाइफ बैटरी जैसे नवाचारों को बढ़ावा दे सकती है।”

उन्होंने स्पष्ट किया कि चक्रीयता में निवेश से प्राथमिक खनन पर निर्भरता कम होगी, आपूर्ति श्रृंखलाओं पर दबाव घटेगा, और यह प्रकृति के लिए भी लाभकारी होगा। यह पहल संयुक्त अनुसंधान, प्रौद्योगिकी मानकों और ग्लोबल साउथ में पायलट री-साइक्लिंग सुविधाओं का समर्थन कर सकती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और अन्य चुनौतियों के कारण कृषि क्षेत्र और खाद्य सुरक्षा पर खतरा अधिक गंभीर होता जा रहा है। उन्होंने बताया कि कई देशों में किसानों को उर्वरक, प्रौद्योगिकी, ऋण, बीमा और बाजार तक पहुंच जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

भारत द्वारा उठाए जा रहे कदमों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा: “भारत में, हम विश्व का सबसे बड़ा खाद्य सुरक्षा और पोषण सहायता कार्यक्रम चलाते हैं। भारत विश्व का सबसे बड़ा स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम और सबसे बड़ी फसल बीमा योजना भी चलाता है। हम श्री-अन्न यानि मोटे अनाज पर जोर दे रहे हैं, जो पोषण और पर्यावरण दोनों के लिए सुपरफूड हैं।”

उन्होंने निष्कर्ष के रूप में कहा कि, “दिल्ली जी20 के दौरान, हमने इन सभी विषयों पर डेक्कन सिद्धांतों पर सहमति व्यक्त की थी। अब, हमें इन सिद्धांतों पर आधारित एक जी20 रोडमैप बनाना चाहिए।” उन्होंने जोर देकर कहा कि लचीलापन अकेले नहीं बनाया जा सकता है, और जी20 को ऐसी व्यापक रणनीतियों को बढ़ावा देना चाहिए जो पोषण, सार्वजनिक स्वास्थ्य, सतत कृषि और आपदा तैयारियों को जोड़कर एक मजबूत वैश्विक सुरक्षा प्रणाली का निर्माण करें।

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