ईरान की सामूहिक कब्रगाह पर बना पार्किंग स्थल, उठे मानवाधिकारों पर सवाल

तेहरान के ‘लॉट 41’ कब्रिस्तान को पार्किंग में बदले जाने से इस्लामिक क्रांति पीड़ितों की यादें और न्याय की उम्मीदें धुंधली

0 170

दुबई: ईरान की राजधानी तेहरान में 1979 की इस्लामिक क्रांति के दौरान मारे गए लोगों की कब्रगाह को अब पार्किंग स्थल में बदल दिया गया है। यह कोई सामान्य कब्रिस्तान नहीं है, बल्कि तेहरान के सबसे बड़े कब्रिस्तान ‘बेहेश्त-ए-ज़हरा’ का रेतीला भूभाग है, जो क्रांति के दौरान मारे गए हजारों लोगों की अंतिम विश्रामस्थली रहा। सरकार ने इस ऐतिहासिक स्थल को अब वाहन पार्किंग के लिए विकसित करने का निर्णय लिया है, जिससे इसे लेकर विवाद और चिंता उत्पन्न हो गई है।

सैटेलाइट से तस्वीरें आईं सामने

‘लॉट 41’ नामक यह क्षेत्र लंबे समय से निगरानी में रहा है, लेकिन अब इसे डामर से ढका जा रहा है। Planet Labs PBC की उपग्रह तस्वीरों में दिखाया गया है कि इस क्षेत्र में पार्किंग बनाने का काम अगस्त की शुरुआत में शुरू हुआ था। 18 अगस्त तक इसका लगभग आधा हिस्सा पूरी तरह से पक्के ढक्कन से ढक दिया गया था।

1979 में हुई थी क्रूर क्रांति

ईरान में 1979 की क्रूर इस्लामिक क्रांति के बाद नवगठित शासन के विरोधियों को बंदूकों से मार दिया गया और कुछ को फांसी पर लटका कर दर्दनाक मौत दी गई थी। उन्हें तत्काल उसी क्षेत्र में दफना दिया गया। अब इन कब्रों को नजरअंदाज कर उन्हें हटाकर पार्किंग बनाने के फैसले को कई लोग “साक्ष्य मिटाने की एक कोशिश” के रूप में देख रहे हैं।

यूएन के एक रिपोर्टर ने पहले की थी आलोचना

संयुक्त राष्ट्र के विशेष रिपोर्टर ने 2024 में ईरान द्वारा कब्रिस्तानों को नष्ट करने की कड़ी आलोचना की थी और इसे “कानूनी जवाबदेही से बचने की साज़िश” बताया। एम्स्टर्डम विश्वविद्यालय के लेक्चरर शाहीन नासिरी ने कहा, “इस सेक्शन में अधिकांश कब्रों को अपवित्र कर दिया गया है, और वहां के पेड़ जानबूझकर सूखने दिए गए हैं। अब इसे पार्किंग में बदलना इस विनाश की अंतिम कड़ी है।”

तेहरान के मेयर ने बताया है पार्किंग 

ईरान में 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद मारे गए लोगों की सामूहिक कब्रगाह पर पार्किंग स्थल बनाए जाने की पुष्टि पिछले हफ्ते तेहरान के डिप्टी मेयर दावूद गुदरज़ी और कब्रिस्तान के मैनेजर ने की थी। गुदरज़ी ने कहा, “यह वह स्थान है जहां क्रांति के शुरुआती दिनों में ‘मुनाफिक’ माने गए लोगों को दफनाया गया था। वर्षों से यह यूं ही पड़ा था, इसलिए अब इसे पार्किंग में बदला जा रहा है।” रिपोर्ट्स के मुताबिक, पार्किंग से सटे इलाके में जून 2025 में हुए ईरान-इज़राइल युद्ध में मारे गए लोगों को दफनाया जाएगा। इस युद्ध में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 1,060 से अधिक लोग मारे गए, जबकि कार्यकर्ताओं के मुताबिक यह संख्या 1,190 से भी अधिक है।

ईरान में मानते हैं ये कानून

ईरान के कानून के अनुसार 30 साल से अधिक पुराने कब्रिस्तानी स्थानों का पुनः उपयोग केवल मृतकों के परिवार की सहमति से ही किया जा सकता है, लेकिन लॉट 41 के मामले में ऐसा कोई सार्वजनिक सहमति पत्र सामने नहीं आया है। ईरानी वकील मोहनसिन बोर्हानी ने इस निर्णय को “नैतिक और कानूनी रूप से गलत” बताते हुए आलोचना की और कहा कि इस क्षेत्र में केवल राजनीतिक कैदी ही नहीं, बल्कि आम नागरिक भी दफन थे।

आखिर क्यों ईरान नष्ट करना चाहता है ऐतिहासिक सामूहिक कब्र

कहा जा रहा है कि यह कदम तेहरान की उस व्यापक नीति का हिस्सा है, जिसमें ईरान ने 1988 की सामूहिक हत्याओं, बहा’ई समुदाय और विरोध प्रदर्शनों (2009 के ग्रीन मूवमेंट से लेकर 2022 के महसा अमीनी आंदोलन तक) में मारे गए लोगों की कब्रों को भी नष्ट किया है। सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स इन ईरान के निदेशक हादी ग़ैमी का कहना है, “ईरान में दशकों से अपराधों और मानवता के विरुद्ध अत्याचारों के लिए दंडमुक्ति की परंपरा चल रही है। 1980 के दशक की हत्याओं से लेकर 2019 और 2022 के प्रदर्शनों तक यह एक सिलसिला बन चुका है।” माना जाता है कि लॉट 41 में 5,000 से 7,000 लोगों को दफनाया गया था, जिनमें वामपंथी, राजतंत्र समर्थक, धार्मिक अल्पसंख्यक और अन्य असंतुष्ट शामिल थे।

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.