नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी अब अपने नए सरकारी आवास में शिफ्ट हो गए हैं। खास बात यह रही कि यह काम इन्होंने अपने जन्मदिन 19 जून के दिन किया है। राहुल गांधी का यह बंगला राजनीति के क्षेत्र में कितना लकी साबित होगा, यह देखने वाली बात होगी। अब राहुल गांधी का नया पता बंगला नंबर-5, सुनहरी बाग रोड है, जिसे उन्होंने अपने आधिकारिक निवास के रूप में स्वीकार कर लिया है।
कैबिनेट मंत्री स्तर का मिला टाइप-8 बंगला
लोकसभा में विपक्ष के नेता बनाए जाने के बाद राहुल गांधी को केंद्र सरकार की तरफ से कैबिनेट मंत्री स्तर का टाइप-8 सरकारी बंगला आवंटित किया गया। यह बंगला पहले कर्नाटक से बीजेपी के नेता और पूर्व सामाजिक न्याय राज्यमंत्री ए. नारायणस्वामी के पास था, जिन्होंने इसे 2021 से 2024 तक इस्तेमाल किया था।
तुगलक लेन से सुनहरी बाग रोड तक का सफर
राहुल गांधी ने इससे पहले वर्षों तक 12, तुगलक लेन स्थित सरकारी आवास में निवास किया था, जो उन्हें एक सांसद के तौर पर आवंटित हुआ था। लेकिन 2023 में मानहानि के एक मामले के चलते जब उन्हें लोकसभा से अयोग्य ठहराया गया, तो उन्होंने वह बंगला खाली कर दिया और अपनी मां सोनिया गांधी के 10, जनपथ निवास में रहने लगे थे। अब, लोकसभा में नेता विपक्ष बनने के बाद उन्हें फिर से सरकारी बंगला आवंटित किया गया है।

मानसून सत्र से पहले रहेंगे नए बंगले में
राहुल गांधी ने गुरुवार से अपने निजी सामान को बंगला नंबर-5 में शिफ्ट करना शुरू कर दिया है। संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होने वाला है और उससे पहले वे पूर्ण रूप से इस नए आवास में रहने लगेंगे। यह बंगला दिल्ली के वीआईपी क्षेत्र में स्थित है और इसकी सुरक्षा, सुविधाएं और आकार एक वरिष्ठ मंत्री के दर्जे के अनुरूप हैं।
राजनीतिक संकेत और बदलाव की चर्चा
राहुल गांधी के इस नए पते को लेकर राजनीतिक हलकों में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। जानकारों का मानना है कि यह महज एक स्थानांतरण नहीं है, बल्कि राहुल गांधी के राजनीतिक जीवन में एक नए अध्याय की शुरुआत का संकेत हो सकता है। जिस तरह से उन्होंने कांग्रेस की अगुवाई करते हुए भारत जोड़ो यात्रा और अब संसद में विपक्ष के नेता की भूमिका संभाली है, यह नया बंगला उनके सशक्त और स्थायी राजनीतिक नेतृत्व की दिशा में एक और कदम माना जा रहा है।
राहुल गांधी का जन्मदिन इस बार सिर्फ व्यक्तिगत खुशी का अवसर नहीं रहा, बल्कि एक नई राजनीतिक शुरुआत का प्रतीक भी बन गया। अब जब वे संसद में विपक्ष की आवाज होंगे और केंद्र सरकार के सामने चुनौती पेश करेंगे, तो उनका नया सरकारी आवास उनके इस नए दायित्व का प्रतीक बन गया है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि सुनहरी बाग रोड से निकली रणनीति भारतीय राजनीति को क्या नया मोड़ देती है।