एसआईआर मुद्दे पर संसद में हंगामा, स्पीकर से मिले राहुल-प्रियंका
राज्यसभा में चर्चा की मांग खारिज, लोकसभा में तख्तियां लहराते रहे सांसद; ओम बिरला बोले – लोकतंत्र को मजबूत करना है तो सदन चलने दें.
नई दिल्ली: संसद का मॉनसून सत्र इस बार पूरी तरह से बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के मुद्दे की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। ऑपरेशन सिंदूर जैसे अहम विषयों को छोड़ दें तो संसद का सामान्य कामकाज लगभग ठप है। शुक्रवार को लगातार नौवें दिन विपक्षी सांसदों ने SIR पर चर्चा की मांग को लेकर संसद के बाहर प्रदर्शन किया, जबकि संसद के भीतर भी भारी हंगामा देखने को मिला, जिससे कार्यवाही बाधित रही। इसी दिन बिहार में वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट प्रकाशित हुआ, जिसके साथ ही राज्य की सियासत और भी गरमा गई है। विपक्ष इसे मतदाता सूची में हेरफेर का मामला बता रहा है, जबकि सरकार का कहना है कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है।
मॉनसून सत्र की शुरुआत 21 जुलाई को हुई थी और शुक्रवार को यह सत्र अपने 10वें दिन में पहुंच गया है। लेकिन अब तक संसद का कामकाज काफी हद तक ठप ही रहा है। पूरे सत्र के दौरान केवल दो दिन, मंगलवार और बुधवार को ही प्रश्नकाल बिना किसी व्यवधान के संपन्न हो सका। बाकी दिनों में विपक्ष के हंगामे के चलते कार्यवाही बाधित रही। अब तक सिर्फ ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा और मणिपुर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने संबंधी सांविधिक संकल्प को ही मंजूरी मिल पाई है। इसके अलावा कोई भी महत्वपूर्ण विधायी कार्य नहीं हो सका है, जिससे संसद की उत्पादकता पर सवाल उठने लगे हैं।
एसआईआर पर चर्चा की मांग को लेकर स्पीकर से मिले राहुल और प्रियंका
राज्यसभा में उपसभापति ने बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर विपक्ष की चर्चा की मांग को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए इस पर संसद में चर्चा नहीं हो सकती। वहीं, लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी समेत इंडिया ब्लॉक के अन्य सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से मुलाकात की। सूत्रों के अनुसार, इस मुलाकात में विपक्षी सांसदों ने संसद के दोनों सदनों में SIR पर विस्तृत चर्चा कराने की मांग दोहराई। विपक्ष का कहना है कि यह मुद्दा लोकतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की मूल भावना से जुड़ा हुआ है।

एसआईआर मुद्दे पर सरकार-विपक्ष आमने-सामने, संसद में आर-पार की स्थिति
एसआईआर के मुद्दे पर विपक्ष और सरकार के बीच अब आर-पार की स्थिति बन गई है। राज्यसभा में उपसभापति द्वारा इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन बताकर चर्चा से इनकार करने के बाद साफ हो गया है कि इस विषय पर संसद में बहस की संभावना बेहद कम है। इस टकराव के चलते संसद का सामान्य कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। शुक्रवार को विपक्ष की ओर से राज्यसभा में एसआईआर पर चर्चा के लिए 15 नोटिस दिए गए थे, लेकिन उपसभापति हरिवंश ने 2022 की एक रूलिंग का हवाला देते हुए सभी नोटिस खारिज कर दिए। राजद सांसद मनोज झा ने जब यह मुद्दा उठाया तो उपसभापति ने स्पष्ट कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसलिए वह इस पर चर्चा की अनुमति नहीं दे सकते। ऐसे में मॉनसून सत्र में प्रस्तावित 15 विधेयकों में से अब तक कोई ठोस प्रगति नहीं हो सकी है। शुक्रवार को लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए जाने थे, लेकिन हंगामे के चलते वह भी संभव नहीं हो पाया।