नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के अन्य पिछड़े वर्ग (OBC) के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को बड़ी टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। अदालत ने सोमवार को कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये बातें कहीं। पश्चिम बंगाल ने साल 2010 से कई जातियों को ओबीसी का दर्जा देकर आरक्षण दिया था, जिसे हाईकोर्ट द्वारा रद्द कर दिया गया था।
22 मई को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इस बाबत फैसला दिया था। हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका सहित सभी याचिकाएं दायर की गई थी। उन याचिकाओं पर न्यायमूर्ति बी आर गवई और के वी विश्वनाथन की बेंच में सोमवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान जस्टिस बी आर गवई ने कहा कि धर्म के आधार पर किसी को भी आरक्षण नहीं दिया जा सकता।

क्या बोली बंगाल सरकार
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि यह धर्म के आधार पर नहीं दिया गया है, बल्कि आरक्षण यह उनके पिछड़ेपन को आधार पर ही उन्हें दिया गया है। सोमवार को सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने मामले में उपस्थित वकीलों से मामले का अवलोकन करने की अपील की।
कपिल सिब्बल ने कही ये बात
हाई कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि उस फैसले में अधिनियम के प्रावधानों को रद्द करने का आदेश दिया गया है। इस वजह से ये बहुत ही गंभीर मामला है, क्योंकि इससे हजारों छात्रों के अधिकार प्रभावित हो रहे हैं, जो नौकरी करना चाहते हैं या फिर कॉलेज और विश्वविद्यालय में प्रवेश पाना चाहते हैं। इसको लेकर कपिल सिब्बल ने बेंच से आग्रह किया कि इस मामले में अंतरिम आदेश पारित करें तथा उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने का आवेदन किया।