मुंबई: बुधवार को शेयर बाजार की गिरावट वाली रफ्तार पर ब्रेक लग गई है। आज के प्री ओपनिंग सेशन में घरेलू बाजार के दोनों सूचकांकों में तेजी आने के कारण रौनक लौटती हुई नजर आ रही है। कल तक जारी गिरावट में आज बदलाव देखने के लिए मिल रहा है और ये हरे निशान के साथ खुले हैं। साथ ही मुद्रा विनिमय बाजार से भी अच्छे संकेत देखने के लिए मिल रहे हैं। आज के प्री ओपनिंग सेशन में बीएसई के प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स में 465.69 अंकों की बढ़त देखी जा रही है, जिसके बाद ये इंडेक्स 81,613.91 के स्तर पर ट्रेड कर रहा है। साथ ही एनएसई के निफ्टी में भी 171.70 अंक की बढ़त देखी जा सकती है और इसके साथ ये 24,750.05 अंक पर ओपन हुआ है।
मुद्रा विनिमय बाजार में भी आज तेजी देखने के लिए मिल रही है। आज अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में बढ़त दर्ज की गई है। बुधवार के कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर की तुलना में 31 पैसे मजबूत होकर 85.05 प्रति डॉलर पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने जानकारी देते हुए बताया है कि ग्लोबल क्रूड ऑयल की कीमतों बढ़ने से रुपये पर प्रेशर पड़ सकता है। पिछले कुछ सेशन में ब्रेंट क्रूड का प्राइस 66 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गई हैं, जिससे भारत का ट्रेड डेफिशिएंट बढ़ सकता है। साथ ही, विदेशी पूंजी की निकासी ने भी भारतीय रुपये की बढ़त को कुछ हद तक सीमित किया।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.05 पर खुला जो पिछले बंद भाव से 31 पैसे की बढ़त दर्शाता है। शुरुआती कारोबार में यह डॉलर के मुकाबले 85.23 पर भी पहुंचा था। भारतीय रुपया मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.36 पर स्थिर रहा था। इस बीच, 6 प्रमुख मुद्राओं की तुलना में अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स 0.05 प्रतिशत की गिरावट के साथ 100.95 पर रहा। अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 0.54 प्रतिशत की गिरावट के साथ 66.27 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा। शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक यानी एफआईआई मंगलवार को बिकवाल रहे थे और उन्होंने शुद्ध रूप से 476.86 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
गौरतलब है कि सब्जियों, फलों एवं दालों की कीमतों में नरमी आने से अप्रैल में रिटेल इंफ्लेशन की दर घटकर करीब 6 साल के निचले स्तर 3.16 प्रतिशत पर आ गई। इससे रिजर्व बैंक के लिए जून की मौद्रिक नीति समीक्षा यानी एमपीसी में रेपो दर में एक और कटौती की पर्याप्त गुंजाइश बन गई है। भारत-पाक तनाव के बीच एविएशन कंपनियां कर रही मनमानी, टिकट कैंसिलेशन पर वसूल रही ज्यादा पैसे मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई पर आधारित मुद्रास्फीति 3.16 प्रतिशत रही, जो जुलाई, 2019 के बाद का सबसे निचला स्तर है। जुलाई, 2019 में यह 3.15 प्रतिशत थी। मार्च, 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति 3.34 प्रतिशत और अप्रैल, 2024 में 4.83 प्रतिशत थी।