चार दिनों में रूस की चार महीनों की कामयाबी बर्बाद

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कीव: 24 फरवरी को यूक्रेन में सैन्य अभियान शुरू करने वाले रूस को कभी अंदाजा भी नहीं रहा होगा, कि ये लड़ाई 6 महीने से ज्यादा चलेगी और फिर उसकी सेना को उल्टे पैर लौटने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। मार्च महीने में राजधानी कीव की घेराबंदी खत्म करने के बाद अब पूर्वी यूक्रेन से भी पैर उखड़ना रूस के लिए बहुत बड़ा झटका है। खासकर पिछले चार दिनों में यूक्रेन ने युद्ध में जबरदस्त वापसी की है और पूर्वी खार्किव में यूक्रेनी सेना की जवाबी कार्रवाई काफी ज्यादा घातक है, जिसकी वजह से कई अहम क्षेत्रों से रूसी सैनिकों के पैर उखड़ने लगे हैं। सिर्फ पिछले चार दिनों में यूक्रेनी सैनिकों ने रूस की पिछले चार महीनों की कामयाबी को बहुत हद तक बर्बाद कर दिया है।

युद्ध में यूक्रेन की वापसी
युद्ध के मैदान से आने वाली रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूक्रेन ने पिछले चार दिनों में करीब 3 दर्जन कस्बों और गांवों को रूसी सेना से आजाद करवा लिया है और यूक्रेनी राष्ट्रपति ने दावा किया है, कि यूक्रेनी सेना ने 6 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को रूसी सैनिकों से वापस छीन लिया है। जर्मनी के ब्रेमेन विश्वविद्यालय के एक रूसी विशेषज्ञ निकोले मित्रोखिन ने अल जजीरा को बताया कि,”चार दिनों के भीतर, यूक्रेन ने रूसी सेना की चार महीने की सफलता को नेस्तनाबूत कर दिया है, और इस दौरान रूस को युद्ध की भारी कीमत चुकानी पड़ी है।” लेकिन, जिस रफ्तार और सहजता के साथ यूक्रेन ने रूसी सीमा के पश्चिम में और रूस समर्थित अलगाववादी क्षेत्र “लुहांस्क पीपुल्स रिपब्लिक” के उत्तर में स्थित क्षेत्र पर नियंत्रण हासिल करना शुरू किया है, वह सवाल उठा रहा है।

पीछे हट रही है या भाग रही है रूसी सेना?
सवाल ये उठ रहे हैं, कि आखिरी रूसी सेना अचानक पीछे क्यों हट रही है? खासकर जिन क्षेत्रों को रूसी सेना ने खाली किया है, उस क्षेत्र को ध्यान से देखने पर महसूस होता है, कि वहां से रूसी सेना पीछे हटी है, ना की भागी है। उन क्षेत्रों में ऐसा नहीं दिखता, कि युद्ध में घबराकर रूस के सैनिक पीछे हट रहे हैं। रूसी कब्जे वाले दो महत्वपूर्ण क्षेत्र कुपियांस्क और इजियम को रूस की सीमा से एक संकरी सड़क जोड़ती है। इंजियम को रूसी सैनिकों ने अपना बेस कैंप बना रखा था, जहां से रूसी सैनिकों को रसद सामग्रियों और उपकरणों की सप्लाई होती थी, लेकिन अब रूस ने उन क्षेत्रों को खाली कर दिया है और रास्तों को देखने पर ऐसा लगता है, कि रूसी सेना खुद वापस गई है, क्योंकि उस संकरे रास्ते पर युद्ध के निशान नहीं हैं और रास्ता भी कहीं पर बंद नहीं है।

लिहाजा, सवाल ये उठ रहे हैं, कि आखिरी रूस ने इन दोनों सबसे अहम क्षेत्र को क्यों खाली कर दिया और इस सवाल को लेकर रूस के अंदर भी कई विशेषज्ञों ने नाराजगी जताई है। वहीं, पुतिन के अटूट साथी रहे चेचन्या लीडर रामदान ने भी इस रणनीति की आलोचना की है।

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