नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कैंसर को देशभर में अधिसूचित बीमारी घोषित करने की मांग से जुड़ी जनहित याचिका पर केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है। अदालत ने देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र में कैंसर प्रबंधन से जुड़ी गंभीर कमियों पर जवाब मांगा है।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने एम्स के सेवानिवृत्त कैंसर विशेषज्ञ डॉ. अनुराग श्रीवास्तव द्वारा दायर याचिका पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस भेजा है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने बताया कि देश के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से केवल 17 ने ही कैंसर को अधिसूचित बीमारी घोषित किया है, जिससे असमान व्यवस्था बनी हुई है। इसके कारण अनिवार्य कैंसर रिपोर्टिंग नहीं हो पा रही और बड़ी आबादी इसके लाभ से वंचित है।

याचिका में यह भी कहा गया कि राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम केवल करीब 10 प्रतिशत आबादी को कवर करता है, जिससे देश में कैंसर के वास्तविक बोझ का सही आकलन नहीं हो पा रहा। अनिवार्य रिपोर्टिंग के अभाव में नीति निर्माण, संसाधनों के सही उपयोग और प्रारंभिक जांच कार्यक्रमों में बाधा आ रही है।
इसके अलावा, याचिका में कैंसर के इलाज को लेकर फैल रही गलत और अवैज्ञानिक जानकारियों पर भी चिंता जताई गई है। आरटीआई के जरिए प्राप्त जानकारी के अनुसार ऐसे दावों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, फिर भी इनके कारण कई मरीज समय पर उचित इलाज से वंचित रह जाते हैं। इन तथ्यों के आधार पर याचिका में सुप्रीम कोर्ट से देशभर में कैंसर को अधिसूचित बीमारी घोषित करने और एक प्रभावी, वैज्ञानिक राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण प्रणाली के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है।