शिमला की संजौली मस्जिद पूरी तरह अवैध घोषित, सिर्फ 3 मंजिल नहीं, अब पूरी मस्जिद गिराई जाएगी

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शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली क्षेत्र में स्थित एक मस्जिद के निर्माण को लेकर नगर निगम अदालत ने अपना अंतिम और कड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने मस्जिद के पूरे निर्माण को अवैध घोषित करते हुए उसे पूरी तरह से गिराने का आदेश जारी किया है। यह फैसला शनिवार को नगर निगम आयुक्त भूपिंदर अत्री की अदालत ने सुनवाई के बाद सुनाया।

यह निर्णय उस समय आया जब वक्फ बोर्ड की ओर से अदालत में मस्जिद की जमीन के मालिकाना हक या निर्माण से संबंधित कोई भी पुख्ता और वैध दस्तावेज, जैसे कि अनुमोदित नक्शा या नगर निगम की स्वीकृति, प्रस्तुत नहीं किया जा सका।

इससे पहले, नगर निगम अदालत ने 5 अक्टूबर 2024 को मस्जिद की ऊपरी तीन मंजिलों को अवैध मानते हुए उन्हें दो महीने के भीतर गिराने का आदेश दिया था। हालांकि, मस्जिद कमेटी इस समय सीमा के भीतर आदेश का पालन करने में विफल रही। कमेटी ने बाद में दो बार और समय मांगा, लेकिन अभी भी एक मंजिल और पिलर का काम अधूरा बताया जा रहा है।

शनिवार को हुई सुनवाई में नगर निगम अदालत ने मस्जिद के बची हुई निचली दो मंजिलों को भी अवैध निर्माण की श्रेणी में माना और उन्हें भी गिराने का आदेश दिया। सुनवाई के दौरान, वक्फ बोर्ड के वकील ने दलील दी कि मस्जिद का अस्तित्व 1947 से पहले का है और यह केवल पुनर्निर्माण है। इस पर अदालत ने सवाल उठाया कि अगर यह पहले से मौजूद थी तो नए सिरे से निर्माण के लिए नगर निगम से मंजूरी क्यों नहीं ली गई?

लगभग पौने घंटे तक चली बहस के बाद, कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और दोपहर एक बजे के बाद नगर निगम आयुक्त भूपिंदर अत्री ने फैसला सुनाते हुए साफ कहा कि पूरी मस्जिद का निर्माण नियमों को ताक पर रखकर किया गया है और यह पूरी तरह अवैध है, इसलिए इसे गिराया जाए।

गौरतलब है कि संजौली मस्जिद का यह मामला तब सुर्खियों में आया था जब 29 अगस्त 2024 को शिमला के मल्याणा क्षेत्र में दो समुदायों के बीच झड़प हुई थी। इसके बाद 1 सितंबर को संजौली मस्जिद के बाहर तनाव की स्थिति बनी और अवैध निर्माण का मुद्दा प्रमुखता से उठा। 11 सितंबर 2024 को हिंदू संगठनों ने मस्जिद निर्माण के विरोध में प्रदर्शन किया था, जिस दौरान बैरिकेड तोड़ने और पुलिस लाठीचार्ज की घटना हुई थी। इन घटनाओं के बाद ही नगर निगम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच और सुनवाई शुरू की थी, जिसका अंतिम फैसला अब आ गया है।

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