शराब घोटाले में सिसोदिया को नहीं मिली जमानत, कोर्ट ने 18 अप्रैल तक बढ़ाई न्यायिक हिरासत

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नई दिल्ली: दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम और आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया को बड़ा झटका लगा है. दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने शनिवार को उनकी न्यायिक हिरासत 18 अप्रैल तक बढ़ा दी. मामले की अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी. शराब घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उम्मीद जताई जा रही थी कि आज सिसोदिया को राउज एवेन्यू कोर्ट से जमानत मिल सकती है. मगर ऐसा नहीं हुआ.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ED से ये बताने के लिए कहा अब तक एक-एक आरोपी द्वारा दस्तावेजों की जांच के लिए कितना समय लिया गया. बता दें किसुनवाई से एक दिन पहले शुक्रवार को सिसोदिया ने तिहाड़ जेल से एक चिट्ठी लिखी थी. पूर्वी दिल्ली में अपने विधानसभा क्षेत्र पटपड़गंज के लोगों को लिखे पत्र में सिसोदिया ने कहा था कि वो जल्दी ही बाहर मिलेंगे.

जमानत याचिका पर 2 अप्रैल को भी हुई थी सुनवाई
बता दें कि राउज एवेन्यू कोर्ट ने सिसोदिया को पहले 6 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेजा था. इससे पहले 2 अप्रैल को उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई हुई थी. जमानत याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान सिसोदिया के वकील ने कहा था कि सिसोदिया के पास से ईडी को अब तक कुछ हाथ नहीं लगी है. जांच पूरा हुए 10 महीने से अधिक हो गए. ED को कोई सबूत नहीं मिला.

करीब 13 महीने से तिहाड़ में बंद हैं सिसोदिया
वहीं, सिसोदिया ने कहा कि सशर्त जमानत मामने को भी तैयार हैं. उन्होंने कहा कि वो कोर्ट का हर फैसला मानने को राजी हैं. बता दें कि दिल्ली शराब घोटाले में सिसोदिया करीब 13 महीने से तिहाड़ जेल में बंद हैं. 26 फरवरी 2023 को मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया गया था. संजय सिंह को सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत मिलने के बाद यह उम्मीद जताई जा रही है कि जिस तरह से उन्हें जमानत मिली, उसी तरह से सिसोदिया को भी बेल मिल सकती है.

जेल से लिखी चिट्ठी, कहा- जल्द बाहर आएंगे
ऐसे में आज अगर उन्हें कोर्ट से जमानत मिलती है तो आज-कल में जेल से रिहा हो जाएंगे. दिल्ली शराब घोटाला मामले में तिहाड़ में बंद सिसोदिया ने शुक्रवार को जो चिट्ठी लिखी थी, उसमें उन्होंने ये उम्मीद जताई दी थी कि वो जल्द जेल से बाहर आएंगे. सिसोदिया ने अपनी चिट्ठी में लिखा कि अंग्रेजों को भी अपनी सत्ता का बहुत घमंड था. अंग्रेज भी झूठे आरोप लगाकर लोगों को जेल में बंद करते थे. अंग्रेजों ने गांधी-मंडेला को भी जेल में डाला. अंग्रेज शासकों की तानाशाही के बावजूद आजादी का सपना साकार हुआ.

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