गौतमबुद्धनगर में डेंगू-मलेरिया नियंत्रण को लेकर निजी चिकित्सकों का विशेष प्रशिक्षण शिविर

निजी चिकित्सकों को क्लीनिकल गाइडलाइंस पर मास्टर ट्रेनर ने दी खास जानकारी। निजी चिकित्सकों को क्लीनिकल गाइडलाइंस पर मास्टर ट्रेनर ने दी खास जानकारी।

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गौतम बुद्ध नगर: मुख्य चिकित्सा अधिकारी गौतम बुद्ध नगर डॉ नरेंद्र कुमार ने बताया की डेंगू एवं मलेरिया उपचार एवं प्रबन्धन कार्यशाला में आज निजी चिकित्सकों, नर्सिंग होम संचालकों को डेंगू, चिकुनगुनिया एवं मलेरिया रोगियों के बेहतर उपचार व प्रबन्धन का प्रशिक्षण दिया गया।

गोदरेज कन्ज्यूमर प्रोडक्ट लिमिटेड के वित्तीय सहयोग से संचालित तकनीकी सहयोगी संस्था पाथ सीएचआरआई के तकनीकी सहयोग सेनिजी क्षेत्र के चिकित्सकों एवं नर्सिंग होम संचालकों का डेंगू, चिकुनगुनिया व मलेरिया रोगियों के उपचार व प्रबन्धन को लेकर द गौरस् सरोवर प्रीमियर-गौर सिटी में प्रशिक्षण दिया गया।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी की अध्यक्षता में भारत सरकार द्वारा निर्गत डेंगू, चिकनगुनिया सिनिकल मैनेजमेंट गाइडलाइंस-2023 एवं मलेरिया ट्रीटमेंट गाईडलाइन 2013 पर भारत सरकार द्वारा आयोजित मास्टर प्रशिक्षक कार्यशाला में एलoएलoआरoएमo मेडिकल कालेज, मेरठ से आई मास्टर प्रशिक्षक डॉo अनुपमा वर्मा द्वारा डेंगू, चिकनगुनिया एवं मलेरिया पर कार्यशाला में आए जनपद के समस्त निजी नर्सिंग होम, निजी क्लिनिक एवं निजी चिकित्सालयों से कार्यरत विशेषज्ञ चिकित्सक/ फिजीशियन/चिकित्साधिकारी को प्रशिक्षित किया गया।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा डेंगू के उपचार के सम्बन्ध में बताया कि प्लेटलेट की कमी डेंगू पीड़ितों की मौत का कारण नहीं है। उन्होंने कहा कि डेंगू बुखार एक मच्छर जनित रोग है। यह चार प्रकार के डेंगू वायरस में से किसी एक के कारण होता है, जो एक संक्रमित मादा एडीज ऐजीपटाई अथवा एडीजएलवोपिकटस मच्छर के काटने से फैलता है। डेंगू के सामान्य लक्षणों में तेज बुखार, नाक बहना, त्वचा पर हल्के लाल चकत्ते, खांसी और आंखों के पीछे और जोड़ों में दर्द शामिल हैं। हालांकि कुछ लोगों को लाल और सफेद धब्बेदार चकत्ते विकसित हो सकते हैं, जिसके बाद भूख में कमी, मतली, उल्टी आदि हो सकती है। डेंगू से पीड़ित मरीजों को चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए, आराम करना चाहिए और बहुत सारे तरल पदार्थ पीना चाहिए। बुखार को कम करने और जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए पैरासिटामोल लिया जा सकता है। हालांकि, एस्पिरिन या इबुप्रोफेन नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि वे रक्तस्राव के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

मुख्य चिकित्साधिकारी ने कार्यशाला में आए समस्त चिकित्सकों को रोगियों के उपचार एवं प्रबंधन में उनके स्तर पर अच्छी सेवा देने एवं समस्त रोगियों की सूचना यूडीएसपी पोर्टल पर अनिवार्य रूप से सूचित करने का आग्रह किया, साथ ही अवगत कराया कि समय से सूचना प्रेषित किए जाने के कारण रोगी के घर एवं उसके आस पास सभी प्रकार की अंतर्विभागीय निरोधात्मक कार्यवाही एवं एक्टिव केस सर्च की गतिविधि संपादित की जाती है ताकि रोग के प्रसार को रोका जा सके।
एल0एल0आर0एम0 मेडिकल कालेज, मेरठ से आई मास्टर प्रशिक्षक डॉ० अनुपमा वर्मा ने कार्यशाला में प्रतिभागियों को भारत सरकार के स्तर से निर्गत डेंगू, चिकनगुनिया एवं मलेरिया पर प्रशिक्षित किया।
डॉ० अनुपमा वर्मा ने बताया कि प्रदेश में वर्ष 2024 में मलेरिया से कोई भी मृत्यु नहीं हुई है। उत्तर प्रदेश में 2027 तक मलेरिया उन्मूलन के दिशा में कार्य किया जाना है, जिससे कि मलेरिया के संचरण को रोका जा सके तथा वर्ष 2030 तक मलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। मलेरिया संचरण को रोकने हेतु सरकार द्वारा उठाये गये कदमों एवं उसके प्रबन्धन पर प्रकाश डाला गया।
कार्यशाला मे जिला चिकित्सालय गौतम बुद्ध नगर की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ रेनू अग्रवाल भी उपस्थित रही, जिन्होंने निजी चिकित्सकों की राष्ट्रीय दिशा निर्देशों के अनुरूप प्रशिक्षण की सराहना की एवं प्रशिक्षण की महत्वत्ता बतायी साथ ही भविष्य मे डेंगू, चिकनगुनिया एवं मलेरिया रोगियों के उपचार करते समय इन दिशा निर्देशों का अनुपालन करने पर जोर दिया।
कार्यशाला मे उपस्थित जिला मलेरिया अधिकारी डॉ श्रुति ने अर्ली डाइग्नोसिस एण्ड प्रॉम्प्ट ट्रीटमेंट (अर्ली डायग्नोसिस एंड प्रॉम्प्ट ट्रीटमेंट) के विषय मे बताया, उन्होंने बताया कि सभी बुखार के रोगियों की त्वरित मलेरिया की जांच आवश्यक है एवं धनात्मक पाए जाने पर मलेरिया पैरासाइट के प्रकार के अनुसार रोगी की आयु के हिसाब से निर्धारित आमूल उपचार तुरंत दिया जाना है, साथ ही रोगी की सूचना तत्काल जिला मलेरिया इकाई को प्रेषित की जाए ताकि रोगी के उपचार का फॉलो-अप कराया जा सके एवं रोगी के घर के आस-पास निरोधात्मक कार्यवाही व ऐक्टिव केस सर्च की गतिविधि संपादित कराई जा सके।
पाथ-सी0एच0आर0आई0 की ओर से आए राष्ट्रीय सलाहकार डॉ अचिंत्य श्रीवत्स ने भारत सरकार द्वारा निर्गत नवीन क्लीनिकल गाइडलाइंस पर निजी चिकित्सकों के प्रशिक्षण के महत्व को बताया एवं गाइडलाइंस के मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला।
राज्य स्तर से पाथ-सी0एच0आर0आई0 से वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी, मलेरिया डॉ अमृत शुक्ला भी उपस्थित रहे। डॉ शुक्ला ने बुखार से ग्रस्त रोगियों की त्वरित मलेरिया की जांच व धनात्मक पाए जाने पर तत्काल पूर्ण आमूल उपचार प्रदान करने को कहा साथ ही यह भी बताया की समस्त जाँचे गए रोगियों की दैनिक सूचना यूडीएसपी पोर्टल पर नियमित रूप से अपलोड भी की जाए। जिला मलेरिया अधिकारी श्रुति कीर्ति वर्मा के द्वारा बताया गया की यू०डी०एस०पी पर समस्त डेंगू एवं मलेरिया केसों का अंकन अवश्य किया जाए ताकि केस बेस्ड एक्टीविटी समय से की जा सकें।
इस कार्यशाला में तकनीकी सहयोग संस्था पाथ-सी0एच0आर0आई0 की रीजनल कोआर्डिनेटर डा० आफिरा मंजूर, जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ० टीकम सिंह, डी०आई०ओ० डा० उवैद कुरेशी भी उपस्थित रहे।

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