H-1B वीजा पर कड़ा अमेरिकी फैसला: अब सोशल मीडिया प्रोफाइल पब्लिक करना होगा अनिवार्य
ट्रम्प प्रशासन ने जारी किए नए आदेश: 15 दिसंबर से H-1B और H-4 वीजा आवेदकों की सोशल मीडिया स्क्रीनिंग होगी अनिवार्य, भारतीय प्रोफेशनल्स पर असर सबसे ज्यादा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बढ़ाई एच-1बी वीजा नियमों में सख्ती
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एच-1बी वीजा नियमों में सख्ती के आदेश दिए हैं। जिसके चलते अब एच-1बी आवेदकों को अपना सोशल मीडिया अकाउंट सोशल करना जरूरी हो गया है, जिससे अमेरिकी अधिकारी आवेदक की प्रोफाइल, सोशल मीडिया पोस्ट और लाइक्स को देखा जा सकें। इसमें अगर आवेदक की कोई भी सोशल मीडिया एक्टिविटी अमेरिकी हितों के खिलाफ देखने को मिलती है तो एच-1बी वीजा जारी नहीं किया जा सकेगा। एच-1बी के आश्रितों यानि पत्नी, बच्चों और पेरेंट्स के लिए एच-4 वीजा के लिए भी सोशल मीडिया प्रोफाइल को पब्लिक करना आवश्यक हो गया है। ये निर्णय पहली बार लिया गया है जिसमें एच-1बी वीजा के लिए भी सोशल मीडिया प्रोफाइल की जांच जरूरी कर दी गई है। वहीं नए नियम 15 दिसंबर से लागू हो जाएंगे, जिसके लिए ट्रम्प प्रशासन द्वारा सभी दूतावासों को निर्देश जारी किए गए हैं।
70% भारतीयों को मिलता है एच-1 बी वीजा
इससे पहले ही अगस्त में स्टडी वीजा एफ-1, एम-1 और जे-1 साथ ही विजिटर वीजा बी-1, बी-2 के लिए सोशल मीडिया प्रोफाइल को पब्लिक करने की अनिवार्यता लागू की जा चुकी है, जानकारी के मुताबिक, 70% एच-1 बी वीजा भारतीयों को दिया जाता है।
एच-1 बी वीजा आखिर है क्या?
एच-1 बी वीजा एक हाई स्किल्ड प्रोफेशनल्स जैसे डॉक्टर्स, इंजीनियर, सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल्स के लिए जारी किया जाता है, 1990 के दश्क में अमेरिकी कांग्रेस में बिल के जरिए ये वीजा अस्तित्व में आया था।
ट्रम्प के आदेश का रहेगा क्या असर?
एच-1 बी वीजा की प्रक्रिया का सबसे ज्यादा असर भारतीयों पर पड़ने वाला है, क्योंकि हर साल कुल जारी किए जाने वाले एच-1बी वीजा में से 70% भारतीय प्रोफेशनल्स को ये वीजा दिए जाते हैं,

एच-1 बी वीजा की कितनी है फीस?
एच-1 बी वीजा की फीस पहले लगभग 9 हजार डॉलर थी, लेकिन सितंबर 2025 में ट्रम्प ने इसे बढ़ाकर लगभग 90 लाख रुपए कर दिया है।
एच-1 बी वीजा की अवधि कितनी है
एच-1 बी वीजा 3-3 साल के लिए दो बार जारी होता है। जिसकी कुल अवधि 6 साल के बाद आवेदक चाहे तो ग्रीन कार्ड यानि नागरिकता से पहले की स्टेज के लिए आवेदन कर सकता है।
एच-1 बी पर ट्रम्प की कभी हां तो कभी न
ट्रम्प का एच-1 बी वीजा पर 9 साल में कभी हां, कभी ना वाला रवैया देखा गया है, इससे पहले कार्यकाल में 2016 में ट्रम्प ने एच-1 बी वीजा को अमेरिकी हितों के खिलाफ बताया था, 2019 में इस वीजा का एक्सटेंशन सस्पेंड किया गया। लेकिन पिछले महीने ट्रम्प ने अपनी बात को पलटते हुए कहा- हमें टैलेंट की जरूरत है। गोल्ड कार्ड में हमेशा रहने का अधिकार मिल सकता है।
क्या है गोल्ड कार्ड की कहानी
ट्रम्प ने H-1B में बदलाव के अलावा 3 नए तरह के वीजा कार्ड लॉन्च किए थे। ‘ट्रम्प गोल्ड कार्ड‘, ‘ट्रम्प प्लेटिनम कार्ड‘ और ‘कॉर्पोरेट गोल्ड कार्ड‘ जैसी सुविधाएं भी शुरू की गई हैं। ट्रम्प गोल्ड कार्ड (8.8 करोड़ कीमत) व्यक्ति को अमेरिका में अनलिमिटेड रेसीडेंसी यानि हमेशा रहने का अधिकार देता है, टेक कंपनियां सबसे ज्यादा H-1B स्पॉन्सर करती हैं। भारत हर साल लाखों इंजीनियरिंग और कंप्यूटर साइंस के ग्रेजुएट तैयार करता है, जो अमेरिका की टेक इंडस्ट्री में बड़ी भूमिका निभाते हैं। इंफोसिस, TCS, विप्रो, कॉग्निजेंट और HCL जैसी कंपनियां सबसे ज्यादा अपने कर्मचारियों को H-1B वीजा स्पॉन्सर करती हैं। कई बार रिपोर्टस बताती हैं कि भारत अमेरिका को सामान से ज्यादा लोग यानी इंजीनियर, कोडर और छात्र एक्सपोर्ट करता है।