नई दिल्ली: आज सुप्रीम कोर्ट ने आतंकवाद निरोधी कानून ‘UAPA’ के तहत दर्ज मामले में प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के पूर्व अध्यक्ष ई. अबूबकर को चिकित्सा आधार पर जमानत देने से आज यानी शुक्रवार को इनकार कर दिया। अबूबकर को 2022 में संगठन के खिलाफ राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) की बड़े पैमाने पर की गई कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार किया गया था। निचली अदालत द्वारा जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद उसने उच्च न्यायालय का रुख किया था।
इस बाबत जस्टीस एमएम सुंदरेश और जस्टीस राजेश बिंदल की बेंच ने कहा कि चिकित्सा रिपोर्ट देखने के बाद वह इस चरण में अबूबकर को रिहा करने के इच्छुक नहीं है। केंद्रीय आतंकवाद निरोधी एजेंसी के अनुसार, पीएफआई, उसके पदाधिकारियों और सदस्यों ने देश के विभिन्न हिस्सों में आतंकी वारदातों को अंजाम देने के इरादे से धन जुटाने के लिए आपराधिक साजिश रची और इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपने कैडर को प्रशिक्षित करने के वास्ते शिविर आयोजित कर रहे थे।

वहीं अपनी दायर याचिका में अबूबकर ने दावा किया कि वह 70 वर्ष का है, उसे ‘पार्किंसंस’ रोग है और कैंसर के इलाज के लिए उसकी सर्जरी भी हो चुकी है। उसने दलील दी थी कि गुण दोष के आधार पर भी वह जमानत का हकदार हैं, क्योंकि NIA उसके खिलाफ मामला साबित करने में विफल रही है। जानकारी दें कि, अबूबकर को बीते 22 सितंबर, 2022 को गिरफ्तार किया गया था। PFI से संबद्ध सदस्यों की गिरफ्तारियां केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, असम, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, दिल्ली और राजस्थान में की गई थीं।
वहीं सरकार ने बीते 28 सितंबर, 2022 को कड़े आतंकवाद निरोधी कानून के तहत PFI और उसके कई सहयोगी संगठनों पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। संगठन पर आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकी समूहों से संबंध रखने का आरोप है।