सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी: आवारा कुत्तों को सार्वजनिक स्थानों पर खाना खिलाना ठीक नहीं
"सड़कों को पशु प्रेमियों के लिए नहीं छोड़ा जा सकता" – सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली: देश में आवारा कुत्तों की समस्या और उससे उत्पन्न खतरे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जो लोग आवारा कुत्तों को खाना खिलाना चाहते हैं, उन्हें यह कार्य अपने घर या निजी परिसर में करना चाहिए, न कि सार्वजनिक स्थलों जैसे सड़कों, कॉलोनियों या गलियों में।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा “क्या हम हर गली और सड़क को इन पशु प्रेमियों के लिए छोड़ दें? हर जगह जानवरों के लिए जगह है, इंसानों के लिए नहीं?” बेंच ने यह भी कहा कि कोई पशु प्रेम को नहीं रोक रहा, लेकिन सार्वजनिक सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता।
आम नागरिकों की सुरक्षा पर चिंता
कोर्ट ने कहा कि सड़क पर साइकिल या टू-व्हीलर चलाने वाले लोगों को आवारा कुत्तों से ज्यादा खतरा होता है। एक वकील द्वारा यह कहे जाने पर कि वे सुबह टहलने जाते हैं और कुत्ते दिखते हैं, कोर्ट ने दो टूक कहा “सुबह टहलने वाले भी खतरे में रहते हैं। ज़रा सुबह साइकिल चलाकर देखिए क्या होता है।”
रेबीज का बढ़ता खतरा
भारत में रेबीज की वजह से होने वाली मौतों की संख्या चिंताजनक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया में रेबीज से होने वाली 36% मौतें अकेले भारत में होती हैं। अधिकतर मामले आवारा कुत्तों के काटने से होते हैं। इस स्थिति को देखते हुए कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया।

समाज में दो राय
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पशु प्रेमी समूहों का कहना है कि कुत्तों को भोजन देना उनकी नैतिक ज़िम्मेदारी है।
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वहीं, स्थानीय नागरिकों और आरडब्ल्यूए (RWA) का तर्क है कि इससे आवारा कुत्तों की संख्या और आक्रामकता दोनों बढ़ रही हैं, जिससे बच्चों और बुज़ुर्गों की सुरक्षा खतरे में पड़ रही है।