स्वदेशी मेले की शुरुआत: दीपावली से पहले देशभर में स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा

त्योहारी सीज़न में देशभर में स्वदेशी मेलों की धूम मची है। “वोकल फॉर लोकल” अभियान के तहत छोटे कारीगरों और स्थानीय उद्यमों को नया मंच मिल रहा है। लखनऊ से लेकर दिल्ली तक, हुनरमंद हाथों का जादू अब घर-घर पहुँच रहा है।

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त्योहारी मौसम में स्वदेशी रंग: जैसे-जैसे दीपावली नज़दीक आ रही है, देशभर के बाज़ारों में स्वदेशी मेलों की रौनक देखने लायक है। सरकार के “वोकल फॉर लोकल” और “आत्मनिर्भर भारत” अभियानों के तहत इन मेलों का उद्देश्य है — स्थानीय उत्पादों, हस्तशिल्प, वस्त्र, और कुटीर उद्योगों को मज़बूती देना। “हम चाहते हैं कि लोग इस दीवाली पर विदेशी नहीं, देसी उत्पाद खरीदें।” — MSME मंत्रालय अधिकारी

हुनरमंदों की कहानी — मिट्टी, कपड़े और कारीगरी का संगम: लखनऊ, वाराणसी, जयपुर, भोपाल, अहमदाबाद और दिल्ली जैसे शहरों में लगे मेलों में स्थानीय कलाकारों की रचनात्मकता चमक रही है।

  • लखनऊ के हुसैनाबाद स्वदेशी मेले में टेरीकोटा, चिकनकारी और पीतल कला का अनोखा संगम दिखा।

  • वाराणसी में हैंडलूम साड़ी और बनारसी सिल्क की प्रदर्शनी को भारी प्रतिक्रिया मिल रही है।

  • राजस्थान के स्टॉल्स पर ब्लू पॉटरी और हस्तनिर्मित झूमरों की बिक्री जोरों पर है।

कारीगरों का कहना है कि इस बार सरकारी सहायता और डिजिटल भुगतान की सुविधा ने बिक्री को तीन गुना तक बढ़ा दिया है।

सरकारी योजना — छोटे व्यवसायों को नया प्लेटफॉर्म: MSME मंत्रालय और KVIC (खादी और ग्रामोद्योग आयोग) ने मिलकर इन मेलों का आयोजन किया है। प्रत्येक राज्य में जिला स्तर पर “स्वदेशी व्यापार हाट” शुरू किए गए हैं।
इनके तहत छोटे उद्यमियों को:

  • फ्री स्टॉल स्पेस,

  • ऑनलाइन पेमेंट सपोर्ट,

  • और प्रोडक्ट मार्केटिंग ट्रेनिंग जैसी सुविधाएँ दी जा रही हैं।

“सरकार का लक्ष्य है कि हर छोटे व्यवसाय को सीधे उपभोक्ता से जोड़ना।” — Union MSME Minister

लखनऊ और यूपी में मेले की स्थिति: लखनऊ में गोमतीनगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान और हजरतगंज क्षेत्र में स्वदेशी मेला लगाया गया है। यहाँ करीब 400 से अधिक स्टॉल लगाए गए हैं, जिनमें हैंडमेड दीये, जैविक रंग, मिट्टी के खिलौने और देसी मिठाइयाँ बिक रही हैं। UP सरकार ने घोषणा की है कि इन मेलों से इस साल करीब ₹50 करोड़ का व्यापार होने की उम्मीद है। “यह केवल व्यापार नहीं, बल्कि स्थानीय पहचान को पुनर्जीवित करने का प्रयास है।” — योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश

अर्थव्यवस्था पर असर — लोकल से ग्लोबल की ओर: स्वदेशी मेलों ने न सिर्फ स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल दिया है, बल्कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर भी देसी उत्पादों की मांग बढ़ी है। Amazon और Flipkart जैसे ऑनलाइन मंचों ने “Made in India Diwali Store” सेक्शन शुरू किया है, जिससे कारीगरों को नए ग्राहक मिल रहे हैं।

निवेश और अवसर — युवाओं के लिए नया रास्ता: युवाओं में भी अब स्थानीय उद्यम शुरू करने का रुझान बढ़ा है। स्वदेशी मेलों से जुड़कर कई युवाओं ने स्टार्टअप मॉडल अपनाया — जैसे इको-फ्रेंडली दीये, बायोडिग्रेडेबल गिफ्ट बॉक्स और हस्तनिर्मित परिधान। “मैंने 2023 में 5 स्टॉल से शुरुआत की थी, अब 40 से ज़्यादा कारीगर मेरे साथ जुड़े हैं।” — कविता मिश्रा, हस्तशिल्प उद्यमी, लखनऊ

लोगों की प्रतिक्रिया — देसी त्यौहार, देसी सामान: लोगों का कहना है कि अब “मेड इन इंडिया” सिर्फ नारा नहीं, बल्कि गर्व का प्रतीक बन गया है। “इस बार हम घर सजाने से लेकर मिठाइयों तक, सब कुछ भारतीय उत्पादों से ही लेंगे,” — एक ग्राहक, लखनऊ मेले में

स्वदेशी मेलों की यह लहर भारत की सांस्कृतिक आत्मनिर्भरता और आर्थिक मजबूती दोनों की कहानी कहती है। दीपावली के अवसर पर जब देशभर में “देसी दीये” जलेंगे, तो उसके पीछे होंगे हजारों कारीगरों के चेहरे और मेहनत की रोशनी। इस त्योहारी मौसम में, खरीदें स्वदेशी — और बनें भारत की ताकत का हिस्सा।

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