सिरदर्द की वजह से छुट्टी मांगना पड़ा भारी! मैनेजर बोला “स्कूल में नहीं हो अब”

कर्मचारी ने सिरदर्द बताकर मांगी छुट्टी, मैनेजर ने कहा “स्कूल में नहीं हो अब”; चैट सोशल मीडिया पर वायरल

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भारत के कॉरपोरेट ऑफिसों में अक्सर ऐसा देखा जाता है कि बॉस और कर्मचारियों के बीच ‘बीमार होने पर छुट्टी’ को लेकर बहस छिड़ जाती है. कॉर्पोरेट ऑफिस मैनेजर्स अक्सर एम्प्लॉयीज की सिक लीव को रिजेक्ट कर उन्हें ऑफिस आने के लिए मजबूर करते हैं इससे एम्प्लॉयीज को नुकसान उठाना पड़ता है जिससे ना केवल फिजिकली बल्कि मेंटली भी परेशान हो जाते हैं। ये सच हर एम्प्लोयी मानता है और ना चाहते हुए भी इससे डील करना पड़ता है। हम आपको ये सच आज इसलिए बता रहे हैं क्योंकि हाल ही में कुछ ऐसा ही मामला सामने आया जब एक भारतीय कर्मचारी ने सिरदर्द की वजह से छुट्टी लेनी चाही, लेकिन उसके मैनेजर ने उसे आराम करने के बजाय ऑफिस आने का आदेश दे दिया. जी हाँ ह्वाट्सऐप पर हुई इस बातचीत का स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. दरअसल, कर्मचारी अपने बॉस से तबीयत खराब होने की वजह से छुट्टी की गुहार लगा रहा था लेकिन बॉस का कहना है था कि ऑफिस तो आना ही पड़ेगा. पोस्ट के कैप्शन में कर्मचारी ने लिखा “जब मैंने छुट्टी मांगी तो मेरे मैनेजर ने कहा, सिरदर्द के साथ कोई काम कैसे कर सकता है?”
आगे मैनेजर ने लिखा: “दवा लेके आओ, कोई नहीं, ठीक हो जाएगा, सिरदर्द ही है.”
कर्मचारी ने जवाब दिया: “डोलो था वो लेके देखता हूं.”
मैनेजर ने जवाब दिया: “हां, ऑफिस आओ हीरो.”
कर्मचारी ने फिर लिखा: “अभी भी हो रहा है सिरदर्द, नहीं आ पाऊंगा.”
जिस पर मैनेजर ने जवाब दिया: “दवा लो ना हीरो. सिरदर्द में थोड़ी न मिलती है. भाई केसी बात कर रहे हो. स्कूल में नहीं है.”
कर्मचारी ने जवाब दिया: “ले लिया अभी थोड़ी देर पहले.”
फिर मैनेजर ने लिखा: “अब आप कंपनी में हो, थोड़ा आराम कर लो भले ही, लेकिन ऑफिस आओ.”
कर्मचारी ने जवाब दिया: “कोशिश करता हूं.”
इतनी मशक्कत के बावजूद मैनेजर ने उसे उसी हालत में भी ऑफिस आने पर मजबूर किया। आपको बता दें इस पोस्ट पर रेडिट यूजर्स लगातार कमेंट कर रहे हैं. एक यूजर ने लिखा, “अगली बार से अस्वस्थ बोलो.” एक और यूज़र ने टिप्पणी की, “सिरदर्द में नहीं मिलता तो क्या हार्ट अटैक आने का इंतज़ार करना पड़ेगा? बहुत परेशान करने वाला है! ये हीरो-हीरो वाली बातें मुझे परेशान कर रही हैं.”
ऐसे ही तमाम लोग पोस्ट पर कमेंट्स करते रहे। इसी बीच
एक यूजर ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा “अपनी पिछली कंपनी में, मैंने छुट्टी न लेने की आदत बना ली थी. मेरा मैनेजर इस बात से बहुत खुश था कि मैं गधे की तरह काम कर रहा था. एक दिन मुझे वायरल बुखार हो गया और मैंने मैसेज करके बताया कि मैं काम नहीं कर सकता और उसने मुझे आधे दिन काम करने को कहा. मैं हैरान रह गया. मेरी टीम के दूसरे लोग महीने में दो-तीन बार बीमारी की छुट्टी लेते थे. मैंने चार महीने में ही वह नौकरी छोड़ दी और अपनी नई कंपनी में मैं अब ज़्यादा काम नहीं करता. जब मैं ठीक रहता हूं तब भी मैं महीने में एक बार बीमारी की छुट्टी लेता हूं.” तो वही एक और यूजर ने कहा, “मैं कभी छुट्टी नहीं मांगता. मैं छुट्टी लेता हूं और सूचित करता हूं. मैं बाकी दिनों में उसकी भरपाई के लिए बदलाव करता हूं.” इसी तरह कई यूजर्स ने कर्मचारी के समर्थन में लिखा कि हर इंसान को बीमारी में छुट्टी लेने का हक है। एक यूजर ने लिखा, “यह बहुत खराब है। तुम्हें बीमारी में छुट्टी लेने का अधिकार है।” एक अन्य यूजर ने लिखा, “याद रखो, कंपनी तुम्हें कभी भी बदल सकती है, इसलिए खुद पर इतना दबाव मत डालो।” कई यूजर्स ने बताया कि ऑफिस में इस तरह का बर्ताव एक बड़ी समस्या को दर्शाता है कि कुछ प्रबंधक अभी भी कर्मचारियों की स्वास्थ्य समस्याओं को मामूली समझते हैं. जिसके कारण उन्हें कॉर्पोरेट सेक्टर में कई तरह से सफर और स्ट्रगल दोनों करना पड़ता है।

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