नई दिल्ली: भाद्रपद पूर्णिमा की तिथि पर 7 सितंबर 2025 को साल का अंतिम और पूर्ण चंद्रग्रहण लगने जा रहा है। यह खग्रास चंद्रग्रहण भारत सहित कई देशों में दिखाई देगा और इसी कारण इसका सूतक काल भी भारत में मान्य होगा। ज्योतिष और धार्मिक दृष्टि से ग्रहण का विशेष महत्व होता है और इस दौरान कुछ खास नियमों का पालन करने की परंपरा है।
सूतक कब से कब तक
ग्रहण का सूतक काल दोपहर 12 बजकर 58 मिनट से शुरू होकर रात्रि 1 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। यानी कुल मिलाकर 9 घंटे से अधिक समय तक सूतक का प्रभाव रहेगा। चंद्रग्रहण का स्पर्श काल रात 9:53 बजे से आरंभ होगा और खग्रास 11:39 बजे लगेगा। ग्रहण का मोक्षकाल 1:25 बजे माना गया है।
सूतक काल में क्या करें
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूतक और ग्रहण काल के दौरान स्नान, दान, जप, पाठ, मंत्रोच्चार और ध्यान करना शुभ माना जाता है। ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान कर दान करने से पुण्य फल प्राप्त होता है। तुलसी पत्ते पके हुए भोजन में रख देने चाहिए ताकि भोजन अशुद्ध न हो।
किन कार्यों से बचना चाहिए

सूतक और ग्रहण काल में भोजन करना, सोना, नाखून काटना, मूर्ति स्पर्श करना और किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करना वर्जित है। इस दौरान गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि मान्यता है कि ग्रहण काल में नकारात्मक ऊर्जा और ग्रहों का दुष्प्रभाव अधिक रहता है। मंदिरों के पट भी ग्रहण अवधि में बंद रहते हैं।
धार्मिक मान्यता और प्रभाव
हिंदू धर्म में ग्रहण को अशुभ माना जाता है, परंतु इस समय मंत्र जाप और भगवान के ध्यान से ग्रहों के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है। इस चंद्रग्रहण को ‘ब्लड मून’ भी कहा जा रहा है क्योंकि इसके दौरान चंद्रमा का रंग लालिमा लिए होगा। ग्रहण शनि की राशि कुंभ में लगेगा और पूर्वाभाद्रपद व शतभिषा नक्षत्र में चंद्रमा विराजमान होंगे।
विशेष सावधानियां
धर्मशास्त्रों के अनुसार बच्चों, बुजुर्गों और रोगियों को सूतक काल के कठोर नियमों से छूट है। फिर भी उन्हें घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को औजारों या धारदार वस्तुओं के प्रयोग से परहेज करने की सलाह दी जाती है।
आज का चंद्रग्रहण न केवल खगोल विज्ञान की दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि धार्मिक आस्था और मान्यताओं के लिहाज से भी अत्यधिक प्रभावशाली है। इस समय सावधानी और संयम बरतना आवश्यक है ताकि अशुभ प्रभाव से बचा जा सके और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त हो सके।