बच्चों को डिजिटल लत से बचाने के लिए बड़ों में अनुशासन जरूरी, अपनाएं ये सुझाव

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हल्द्वानी। आज के युग में पैसे का लेनदेन, संवाद, व्यापार और मार्केटिंग रिसर्च जैसे कार्य आनलाइन माध्यम से हो रहे हैं। जिसे डिजिटल व्यवहार कहा जाता है। हम सब इसके इतने आदी हो चुके हैं कि इसके बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर पा रहे हैं। बावजूद, ऐसा क्या हुआ कि हम स्वयं को अचानक से असुरक्षित महसूस करने लगे और क्यों वास्तविक दुनिया में डिजिटल व्यवहार के अनुशासन की बात करने लगे?

देखा जाए तो यह मुद्दा आज के परिप्रेक्ष्य में काफी गंभीर है। क्योंकि अगर हम डिजिटल व्यवहार की बात करें तो इसके जितना प्रभावी तकनीक कोई नहीं है। यह हमें सीधा विकास से जोड़ती है, वहीं इसके विपरीत प्रभाव को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। जोकि भविष्य में विध्वंस का कारण बन सकता है। डिजिटल तकनीक की बात करें तो इसने हमें मात्र देश दुनिया से ही नहीं जोड़ा, बल्कि अनेक अनगिनत फायदे और सुविधाएं भी दी हैं, लेकिन कुछ ही वर्षों में हम सब इसकी गिरफ्त में आ गए और हमें पता ही नहीं चला।

आज स्थिति यह है कि तकनीकी व्यवहार हमारे ऊपर शासन करने लगा है। इसका विपरीत प्रभाव इस तरह से बढ़ रहा है कि इसने कई समस्याओं को जन्म दे दिया है। सबसे अधिक प्रभावित बच्चे और युवा हो गए हैं। उनमें अवसाद, मोटापा, शारीरिक व मानसिक बीमारियां, सोचने की शक्ति कमजोर होना, आत्महत्या, तनाव, गृह क्लेश जैसी समस्या सामने आ रही है।

विशेष तौर पर हमें बच्चों के बारे में सोचना है। जो इस तकनीकी युग में अंदर से खोखले होते जा रहे हैं। जिनके दिन की शुरुआत ही इस तकनीक के साथ हो रही है। ऐसे में हमें कुछ कठोर कदम उठाने ही पड़ेंगे। जोकि बच्चों के लिए ही नहीं, बड़ों के लिए भी वरदान साबित हो सकता है। बड़ों का संयम व अनुशासन ही बच्चों को संयमित व अनुशासित करने में मददगार साबित होगा। उन्हें स्वयं अपने को अनुशासन में ढालना पड़ेगा। अपनी कथनी और करनी में फर्क नहीं करना पड़ेगा। यानी कि अगर हम बच्चों से कुछ अपेक्षा कर रहे हैं, तो हमें भी उनका आदर्श बनना पड़ेगा।

बच्चों के सामने स्वयं इंटरनेट एप व तरह-तरह की साइट्स में जाना बंद करें
बच्चों को खिलौनों की उम्र में मोबाइल ना दें
बच्चों को अपना मूल्यवान समय दें, पैसा व सुविधाएं नहीं
बच्चों के व्यवहार में बदलाव को महसूस करें
बच्चों को ध्यान से सुने फिर अपने सुझाव, प्रतिक्रिया भी व्यक्त करें
जिद करने पर कभी भी इच्छा पूरी ना करें, बल्कि मनोवैज्ञानिक ढंग से उनका मार्गदर्शन करें
साइबर क्राइम के बारे में बताएं
नोट : जागरण संस्कारशाला के लिए ये लेख बीरशिबा सीनियर सेकेंडरी स्कूल हल्द्वानी की उप प्रधानाचार्य मीना सती ने उपलब्ध कराया है।

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