ट्रम्प भारत के चावल और कनाडा की खाद पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की तैयारी में; 19 देशों की नागरिकता प्रक्रिया भी रोकी

अमेरिकी किसानों को हो रहे नुकसान का हवाला देते हुए ट्रम्प प्रशासन नए आयात शुल्क पर विचार कर रहा है; चावल निर्यात और खाद सप्लाई पर पड़ सकता है असर।

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वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बताया कि अब अमेरिका भारत से आने वाले चावल और कनाडा से आने वाली खाद पर एक्स्ट्रा टैरिफ लगाने की सोच रहा है। दरअसल, दूसरे देशों से आने वाला सस्ता सामान अमेरिकी किसानों को नुकसान पहुंचा रहा है।

 

ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में होने वाली किसानों के लिए नई आर्थिक मदद की घोषणा के दौरान ये बात कही थी. ट्रम्प ने ये भी कहा कि भारत, वियतनाम और थाईलैंड जैसे देश अमेरिका में बहुत सस्ता चावल बेच रहे हैं, जिससे अमेरिकी किसानों की कमाई कम हुई है। ट्रम्प ने इसे ‘डंपिंग’ बताते हुए कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए था, ट्रम्प ने अपने वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट से सवाल किया कि भारत को चावल के मामले में किसी तरह की छूट मिली हुई है.

 

वित्त मंत्री ने बताया कि दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते पर अभी बातचीत चल रही है। अगर जरूरत पड़ती है तो अमेरिका कनाडा से आने वाली खाद पर भी कड़े टैरिफ लगाने की सोच सकता है, स्कॉट बेसेंट ने कहा कि बहुत सी खाद कनाडा से आती है। अगर यह सस्ती हो गई तो हम उस पर सख्त टैरिफ लगाएगें. दरअसल, कनाडा, अमेरिका को पोटाश खाद की सबसे ज्यादा सप्लाई करता है। इसलिये अबतक इसे व्यापार समझौते की वजह से सुरक्षा मिली हुई है.

 

अमेरिका में महंगाई और बढ़ती कीमतों की वजह से ट्रम्प पर दबाव बढ़ा है और किसान भी बढ़ती लागत से परेशान हैं अगर खाद पर नया टैरिफ लग जाता है तो उनकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। वहीं अमेरिका ने हाल ही में पोटाश और फॉस्फेट को क्रिटिकल मिनरल्स की लिस्ट में शामिल किया है, जिससे उनकी सप्लाई बनी रहे, लेकिन किसान अभी भी इसे लेकर परेशान हैं।

 

डंपिंग जिसमें कोई देश अपनी चीजें दूसरे देश में बहुत ही कम दाम पर बेचता है। यह इतना कम होता है कि वहां की लोकल कंपनियां और किसान उस कीमत पर सामान नहीं पाते हैं. जिससे उस देश का बाजार सस्ते विदेशी माल से भर जाता है और स्थानीय लोगों को कारोबार में नुकसान उठाना पड़ता है, इसके बाद धीरे-धीरे लोकल मार्केट पर विदेशी कंपनियों या कहें प्रोडक्ट का कब्जा हो जाता है।

 

अगर ट्रम्प भारतीय चावल पर अतिरिक्त टैरिफ लगा देते हैं, तो अमेरिका पहुंचने वाला भारतीय चावल पहले से काफी महंगा हो जाएगा। इसके चलते वहां भारतीय चावल खरीदने वाले उपभोक्ताओं को ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी और उनकी जेब पर सीधा बोझ बढ़ेगा।

 

इसके साथ ही भारत के उन किसानों और निर्यातकों को झटका लग सकता है, जो अपनी फसल का बड़ा हिस्सा अमेरिका भेजते हैं। चावल महंगा होने पर अमेरिकी बाजार में उसकी मांग घट सकती है, जिससे भारत का निर्यात सीधे प्रभावित होगा।

 

भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है। कम कीमत पर उपलब्ध घरेलू चावल और मजबूत भंडार के कारण भारत वैश्विक बाजार में करीब 40% चावल की सप्लाई अकेले करता है। वित्त वर्ष 2022–23 में देश का कुल चावल निर्यात बढ़कर लगभग 15 मिलियन टन तक पहुंच गया था।

भारत मुख्य रूप से दो तरह का चावल निर्यात करता है—बासमती और गैर-बासमती। वर्ष 2023 में गैर-बासमती चावल की सबसे अधिक खरीद पश्चिम अफ्रीकी देशों ने की, जबकि बासमती चावल के प्रमुख आयातक मध्य पूर्व के देश रहे, जिनमें सऊदी अरब, ईरान और इराक सबसे आगे थे।

 

वर्ल्ड बैंक के अनुसार, वर्ष 2023 में भारत ने अमेरिका को करीब 2.8 लाख टन चावल भेजा था, जो कुल निर्यात का एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।

 

ट्रम्प प्रशासन भारत पर पहले ही लगभग 50% तक टैरिफ लगा चुका है, जिसमें से 25% अतिरिक्त शुल्क रूस से तेल खरीदने के कारण जोड़ा गया था। ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत ट्रम्प इससे पहले भी कई विदेशी उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाते रहे हैं।

 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत अमेरिका को अपेक्षाकृत कम मात्रा में चावल निर्यात करता है। इसलिए संभावित टैरिफ का असर पूरे चावल उद्योग पर नहीं पड़ेगा। हालांकि, जो किसान और निर्यातक सीधे अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं, उन्हें चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में भारत को अपने चावल के लिए नए आयातक देशों की तलाश करनी होगी।

 

ट्रम्प प्रशासन ने 19 देशों के नागरिकों की अमेरिकी नागरिकता और ग्रीन कार्ड प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगा दी है। यह कदम हाल ही में व्हाइट हाउस के पास नेशनल गार्ड्स पर एक अफगान शरणार्थी द्वारा की गई गोलीबारी के बाद उठाया गया है।

 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 19 देशों के नागरिकों के लिए नागरिकता और ग्रीन कार्ड की प्रक्रिया को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह कठोर कदम हाल ही में व्हाइट हाउस के पास नेशनल गार्ड्स पर एक अफगान शरणार्थी द्वारा की गई गोलीबारी की घटना के बाद उठाया गया है।

 

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