वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मिडिल ईस्ट से गैरजरूरी सैनिक-राजनयिकों को वापस बुलाने का फैसला किया है। ट्रंप प्रशासन ने यह फैसला ईरान के साथ परमाणु वार्ता के विफल होने की आशंका के चलते लिया है। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने इराक से अपने कर्मचारियों को निकलने के लिए कहा है।
विदेश विभाग ने कहा है कि अपनी ताजा समीक्षा और “देश और विदेश में अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने” की प्रतिबद्धता के तहत उसने बगदाद स्थित अमेरिकी दूतावास से सभी गैर-आवश्यक कर्मचारियों को हटाने का आदेश दिया है। दूतावास में पहले से ही सीमित स्टाफ तैनात था, इसलिए इस आदेश से बहुत अधिक कर्मचारियों पर असर नहीं पड़ेगा।
मिडिल ईस्ट छोड़ने का आदेश
विदेश विभाग ने बहरीन और कुवैत में स्थित अमेरिकी कांसुलरी से भी गैर-आवश्यक कर्मचारियों और उनके परिवारों को देश छोड़ने की अनुमति दी है। इस फैसले के तहत वे सरकारी खर्च और सहायता के साथ इन देशों से निकल सकते हैं। अमेरिकी केंद्रीय कमान ने एक बयान में बताया कि रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने “पूरे क्षेत्र से सैन्य परिजनों के स्वैच्छिक प्रस्थान” को मंजूरी दे दी है। कमान लगातार पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव पर नजर बनाए हुए है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार शाम वॉशिंगटन के कैनेडी सेंटर में कहा, “उन्हें वहां से हटाया जा रहा है क्योंकि यह इलाका खतरनाक हो सकता है। हमने प्रस्थान का नोटिस जारी कर दिया है और अब देखेंगे कि आगे क्या होता है।” हाल के दिनों में इस क्षेत्र में तनाव लगातार बढ़ रहा है, खासकर ईरान के तेजी से बढ़ते परमाणु कार्यक्रम और अमेरिका के साथ उसकी बातचीत में आ रही रुकावटों के चलते।
ईरान पर हमला कर सकता है इजराइल
ट्रंप प्रशासन के फैसले के बाद ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमलेहोनें की संभावना बढ़ गई है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इसरायल पहले ही ईरान पर हमला करने की तैयारी में था, लेकिन परमाणु वार्ता के चलते अमेरिका ने इसरायल को ऐसा करने से रोक दिया था। अब इसरायल ईरान पर किसी भी दिन हमला कर सकता है। वही, ईरान के संयुक्त राष्ट्र मिशन ने सैन्य के बजाय कूटनीति रास्ता अपनाने की वकालत की है। ईरान का कहना है कि हम परमाणु हथियार नहीं चाहते लेकिन अमेरिकी सैन्यवाद केवल अस्थिरता को बढ़ावा दे रहा है।