केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने राज्यों से क्षेत्रीय बायोटेक्नोलॉजी इकोसिस्टम को बढ़ावा देने का आह्वान किया है, ताकि नवाचार और अर्थव्यवस्था को नई गति मिल सके। बायोटेक्नोलॉजी विभाग (DBT) की एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए, उन्होंने भारत के बायो-इनोवेशन परिदृश्य को सशक्त करने के लिए चल रहे प्रोजेक्ट्स और नई पहलों का जायजा लिया।
राज्यों की बायोटेक्नोलॉजी क्षमता के आधार पर कई नए प्रोजेक्ट्स की समीक्षा की
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बायोफाउंड्री, क्षेत्रीय इनोवेशन हब और राज्यों की बायोटेक्नोलॉजी क्षमता के आधार पर मैपिंग जैसे कई नए प्रोजेक्ट्स की समीक्षा की। इनका उद्देश्य नवाचार (इनोवेशन), सहयोग और स्थानीय भागीदारी के माध्यम से देश की बायोइकोनॉमी को मजबूती प्रदान करना है। उन्होंने कहा, “क्षेत्रीय ताकतों का उपयोग और राज्य सरकारों व स्थानीय हितधारकों के साथ सहयोग बढ़ाकर हमें बायोटेक्नोलॉजी इकोसिस्टम को और मजबूत करना होगा।”
बायोटेक्नोलॉजी सेक्टर राष्ट्रीय विकास का प्रमुख स्तंभ
केंद्रीय मंत्री ने भारत के बायोटेक्नोलॉजी सेक्टर को राष्ट्रीय विकास का एक प्रमुख स्तंभ बताते हुए कहा कि यह स्वास्थ्य, कृषि, पर्यावरण और औद्योगिक नवाचार के माध्यम से अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। उन्होंने रिसर्च संस्थानों, स्टार्टअप्स और राज्य सरकारों को एक साझा इनोवेशन इकोसिस्टम में जोड़ने की सरकार की रणनीति पर जोर दिया, ताकि बायोटेक्नोलॉजी सामाजिक और आर्थिक बदलाव का माध्यम बने।

बायोटेक्नोलॉजी और खेल विज्ञान के समन्वय से एक स्वस्थ और मजबूत राष्ट्र का निर्माण संभव
सिंह ने यह भी बताया कि DBT का ह्यूमन फिजियोलॉजी, मेटाबोलिक रिसर्च और हेल्थ टेक्नोलॉजी में काम भारत में परफॉर्मेंस साइंस को नई दिशा दे सकता है। उन्होंने कहा, “बायोटेक्नोलॉजी और खेल विज्ञान के समन्वय से एक स्वस्थ और मजबूत राष्ट्र का निर्माण संभव है।”
हमारा लक्ष्य राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को क्षेत्रीय ताकतों के साथ जोड़ना
उन्होंने क्षेत्रीय जुड़ाव के महत्व पर बल देते हुए कहा कि DBT ने राज्यों की बायोटेक्नोलॉजी क्षमता के आधार पर मैपिंग और बायो E3 सेल बनाने में उनके साथ मिलकर काम करने की दिशा में कदम उठाए हैं। यह बायो E3 नीति का हिस्सा है, जो उद्यमिता, शिक्षा और सशक्तिकरण पर केंद्रित है। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को क्षेत्रीय ताकतों के साथ जोड़ना है, ताकि राज्य अपनी विशिष्ट संभावनाओं को पहचान सकें और उन्हें विकसित कर सकें।”
उल्लेखनीय है यह पहल भारत को बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व प्रदान करने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।