यूपीः रोड एक्सीडेंट में घायलों का प्राइवेट अस्पतालों को करना होगा निःशुल्क इलाज, आदेश न मानने पर होगी कड़ी कार्रवाई

0 11

कानपुर: अक्सर आपने देखा होगा कि सड़क दुर्घटना में पीड़ितों के साथ ज्यादातर निजी अस्पताल मौके का फ़ायदा उठाते हुए मनमानी करते हैं। कई मामलों में देखा गया है कि दुर्घटना में घायल व्यक्ति को लाने वाले या परिजनों से निजी अस्पतालो में इलाज से पहले उन्हें मोटी रकम जमा करने को कहा जाता है, ऐसे में इलाज का गोल्डन आवर माना जाने वाला समय ज़्यादातर बर्बाद हो जाता है। जिससे मरीजों की जान बचाने में मशक्कत करना पड़ता है। लेकिन अब कानपुर जिलाधिकारी के एक फरमान ने नगरवासियों के लिए राहत का रास्ता खोल दिया है। जिलाधिकारी कानपुर जितेंद्र प्रताप सिंह (जेपी सिंह) ने जिले के सभी निजी अस्पतालों को सख्त चेतावनी जारी की है कि सड़क दुर्घटनाओं में घायल होने वाले व्यक्तियों के लिए अब इलाज के दौरान कोई भी निजी अस्पताल पैसे नहीं लेगा।

घायलों का होगा कैशलेस इलाज

एक मीटिंग के दौरान डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने शहर के सभी निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम्स और चिकित्सालयों को सख़्त लहजे में स्पष्ट और सख्त आदेश जारी किए हैं कि सड़क हादसे में घायल किसी भी व्यक्ति को तुरंत भर्ती करने का काम बिना देरी के करें, साथ ही घायलों को कैशलेस इलाज प्रदान किया जाए। इस आदेश के तहत न तो घायल से कोई भुगतान लिया जाएगा और न ही उसे अस्पताल पहुंचाने वाले व्यक्ति से कोई राशि मांगी जाएगी। यदि कोई अस्पताल इस नियम का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

1.50 लाख रुपये तक खर्च सरकार उठाएगी

यह आदेश केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी ‘कैशलेस उपचार योजना-2025’ को सख्ती से लागू करने के उद्देश्य से जारी किया गया है। इस योजना के तहत मोटर वाहन से होने वाली सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को दुर्घटना की तारीख से अधिकतम सात दिनों तक 1.50 लाख रुपये तक का पूरा इलाज कैशलेस तरीके से उपलब्ध कराया जाएगा। इलाज का पूरा खर्च मोटर वाहन दुर्घटना निधि से वहन किया जाएगा, जिसका भुगतान केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है। इस व्यवस्था से अस्पतालों के पास इलाज से इनकार करने या पैसे मांगने का कोई बहाना नहीं बचेगा।

इलाज शुरू करने से पहले पैसे, पहचान पत्र नहीं मांगेंगे अस्पताल

जिलाधिकारी ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि सड़क दुर्घटनाओं में अक्सर घायलों को अस्पताल पहुंचाने के बाद इलाज शुरू करने से पहले पैसे, पहचान पत्र या अन्य औपचारिकताओं की मांग की जाती है, जिससे कीमती समय बर्बाद होता है और कई मामलों में मरीज की जान तक चली जाती है। इस प्रवृत्ति को पूरी तरह रोकने के लिए केंद्र सरकार ने यह योजना अधिसूचित की है, जिसे अब कानपुर नगर में हर हाल में लागू किया जाएगा। डीएम ने सभी अस्पताल संचालकों को चेतावनी दी है कि योजना का जिम्मेदारी से पालन करें, अन्यथा संबंधित संस्थान के खिलाफ सख़्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। शिकायत की स्थिति में पीड़ित या उनके परिजन सीधे मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) या जिलाधिकारी कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं।

आम लोगों को मिलेगी बड़ी राहत

इस आदेश का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि आम नागरिकों में घायल व्यक्ति को तुरंत अस्पताल पहुंचाने का भरोसा बढ़ेगा। पहले कई लोग पैसे मांगने या कानूनी झंझटों के डर से दुर्घटना स्थल पर रुकते नहीं थे, लेकिन अब घायल को पहुंचाने वाले राहगीर, परिचित या परिजन से इलाज के नाम पर एक पैसा भी नहीं लिया जाएगा। इससे ‘गोल्डन ऑवर’ में इलाज मिलने की संभावना बढ़ेगी और जानें बचाई जा सकेंगी। बता दें कि यह योजना पूरे देश में लागू है और इसका उद्देश्य सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देना और दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को कम करना है। भारत में हर साल लाखों सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें हजारों लोग अपनी जान गंवा देते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर इलाज मिलने से 50 प्रतिशत तक मौतों को रोका जा सकता है। कानपुर में इस आदेश के लागू होने से स्थानीय स्तर पर बड़ा बदलाव आएगा और लोगों की जान बचाने में मदद मिलेगी।

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.