न्यूयार्क: अमेरिका में भारत पर लगाए गए भारी-भरकम टैरिफ को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा राष्ट्रीय आपातकाल का हवाला देकर भारतीय उत्पादों पर लगाए गए 50 फीसदी तक के शुल्क अब अमेरिकी संसद के निशाने पर आ गए हैं। अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के तीन सदस्यों ने इस फैसले को अवैध बताते हुए इसे खत्म करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया है। यह कदम न सिर्फ ट्रंप की व्यापार नीति के खिलाफ खुला विरोध माना जा रहा है, बल्कि भारत-अमेरिका संबंधों के लिए भी अहम मोड़ साबित हो सकता है।
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यह प्रस्ताव डेबोरा रॉस, मार्क वीसी और भारतीय मूल के सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने मिलकर पेश किया है। प्रस्ताव का मकसद उस राष्ट्रीय आपातकालीन आदेश को समाप्त करना है, जिसके तहत भारत से आने वाले कई उत्पादों पर पहले 25 फीसदी और फिर अतिरिक्त 25 फीसदी सेकेंडरी ड्यूटी लगाकर कुल टैरिफ 50 फीसदी तक पहुंचा दिया गया था। यह शुल्क अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्तियां अधिनियम (IEEPA) के तहत लगाया गया था।
अर्थव्यवस्था और रोजगार पर असर
सांसदों का कहना है कि यह फैसला न तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था के हित में है और न ही आम उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद। कांग्रेसवुमन डेबोरा रॉस ने कहा कि नॉर्थ कैरोलाइना की अर्थव्यवस्था भारत से गहराई से जुड़ी है। भारतीय कंपनियों ने वहां एक अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है, जिससे हजारों नौकरियां पैदा हुई हैं। ऐसे में भारत पर टैरिफ बढ़ाना सीधे तौर पर अमेरिकी रोजगार और कारोबार को नुकसान पहुंचाता है।

महंगाई और द्विपक्षीय रिश्ते
वहीं टेक्सास से सांसद मार्क वीसी ने कहा कि ये टैरिफ आम अमेरिकियों पर टैक्स की तरह हैं, जो पहले ही बढ़ती महंगाई से जूझ रहे हैं। उनका कहना है कि भारत अमेरिका का अहम आर्थिक और रणनीतिक साझेदार है और इस तरह के फैसले दोनों देशों के रिश्तों को कमजोर करते हैं।
सप्लाई चेन पर प्रभाव
भारतीय मूल के सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने भी ट्रंप के टैरिफ को काउंटरप्रोडक्टिव बताया। उन्होंने कहा कि इससे सप्लाई चेन बाधित होती है, अमेरिकी मजदूरों को नुकसान होता है और उपभोक्ताओं पर महंगाई का बोझ बढ़ता है। उनके मुताबिक, इन टैरिफ को खत्म करना अमेरिका-भारत के बीच आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करेगा।
यह प्रस्ताव ऐसे समय आया है, जब इससे पहले अमेरिकी सीनेट में भी ब्राजील पर लगाए गए टैरिफ के खिलाफ द्विदलीय पहल की जा चुकी है। साफ है कि कांग्रेस अब राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों के जरिए एकतरफा व्यापारिक फैसलों पर लगाम लगाना चाहती है। अगर यह प्रस्ताव आगे बढ़ता है, तो भारत पर लगे 50% टैरिफ हटने की राह खुल सकती है और दोनों देशों के रिश्तों में नई गर्माहट आ सकती है।