सुबह या फिर दोपहर? किस समय की धूप होती है Vitamin D के लिए परफेक्ट, जानिए ये जरूरी फैक्ट

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Which Time Sunlight Is Good For Vitamin D: स्वस्थ शरीर के लिए अच्छा खानपान और व्यायाम का तरीका अपनाना जरूरी होता है। कई बार अनियमित जीवनशैली में रहने की वजह से शरीर पर बुरा असर दिखाई देता है। शरीर में कई सारे पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। इन पोषक तत्वों में एक है विटामिन डी (Vitamin D)। इस पोषक तत्व के शरीर में होने से हमारी हड्डियों को मजबूती मिलती है तो वहीं पर इम्यूनिटी सिस्टम स्ट्रॉन्ग हो जाता है। प्राकृतिक रूप से विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए धूप जरूरी होती है। यह एक ऐसा प्राकृतिक स्त्रोत है जो हर किसी के साथ होता है।

कई बार ऐसा होता है कि, भागदौड़ भरी जिंदगी के चलते लोग सुबह के समय टाइम नहीं निकाल पाते हैं, जिससे उन्हें विटामिन डी नहीं मिल पाता है। इसे लेकर हेल्थ एक्सपर्ट बताते है कि, किस समय की धूप फायदेमंद होती है।

सुबह या दोपहर में कौन सी बेस्ट है धूप
हेल्थ एक्सपर्ट इसे लेकर कहते है कि, विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए सुबह की धूप फायदेमंद मानी जाती है।सुबह-सुबह की धूप हल्की और लाभदायक होती है जहां पर इस धूप में बैठने से शरीर को फायदा पहुंचता है और त्वचा को नुकसान भी नहीं होता है। कहा जाता है कि, अगर आप सुबह समय नहीं निकाल पा रहे हैं, तो रोजाना केवल 10 से 30 मिनट तक दोपहर की धूप में बैठ सकते हैं. आमतौर पर 11 बजे से 2 बजे के बीच धूप में बैठने से शरीर 1,000 से 2,000 इंटरनेशनल यूनिट्स (IU) तक विटामिन D बना सकता है। विटामिन डी हमारे शरीर के लिए केवल विटामिन की पूर्ति नहीं करता है बल्कि हमारी बॉडी में एक हार्मोन की तरह काम करता है. यह शरीर में 200 से ज्यादा जीन को नियंत्रित करता है. यानी यह कई तरह के बॉडी फंक्शन्स में शामिल होता है।

जान लीजिए ये फैक्ट भी
शरीर में विटामिन डी की पूर्ति के लिए खाने के लिए आप ज्यादा मात्रा में मछली, अंडे या मशरूम लेते है। इसके बजाय सूर्य की रोशनी या 15 मिनट की धूप विटामिन डी की पूर्ति करती है।
शरीर में विटामिन डी की कमी कब हुई है इसके बारे में संकेत तुरंत नहीं मिलते बल्कि कई लक्षण नजर आते है। अगर आपको थकान, मूड स्विंग्स या बार-बार संक्रमण होना जैसे लक्षण नजर आएं, तो एक बार विटामिन डी का टेस्ट जरूर करा लें।
विटामिन डी की पूर्ति के लिए अगर आप ज्यादा सप्लिमेंट लेते है तो, किडनी पर असर पड़ सकता है. आमतौर पर 600 से 800 IU रोजाना पर्याप्त मानी जाती है, लेकिन मात्रा डॉक्टर से पूछकर ही तय करनी चाहिए।

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