नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि पत्नी द्वारा पति पर इस बात के लिए दबाव बनाना क्रूरता है कि वह अपने परिवार के सदस्यों से संबंध तोड़ ले। इसके साथ ही उसने अलग रह रहे एक जोड़े के विवाह को समाप्त करने के आदेश को बरकरार रखा है। हाईकोर्ट ने कहा कि साथी का बार-बार सार्वजनिक रूप से अपमान करना और उससे मौखिक दुर्व्यवहार करना मानसिक क्रूरता है।
हाईकोर्ट ने खारिज की महिला की अपील
जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने 16 सितंबर को दिए अपने फैसले में कहा, ‘‘मात्र अलग रहने की इच्छा क्रूरता नहीं है, लेकिन प्रतिवादी (पति) पर अपने परिवार के साथ संबंध तोड़ने के लिए लगातार दबाव डालना निश्चित रूप से क्रूरता है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि पत्नी द्वारा अपने पति को उसके माता-पिता से अलग करने का लगातार प्रयास करना मानसिक क्रूरता है।’’ परिणामस्वरूप उच्च न्यायालय ने क्रूरता के आधार पर अलग हुए दंपति के विवाह को भंग करने के पारिवारिक न्यायालय के आदेश के खिलाफ महिला की अपील को खारिज कर दिया।

पति पर विधवा मां और तलाकशुदा बहन से अलग रहने का डाला दबाव
बेंच ने कहा कि पत्नी लगातार इस बात पर अड़ी रही कि वह संयुक्त परिवार में नहीं रहना चाहती और उसने अपने पति पर पारिवारिक संपत्ति का बंटवारा करने और अपनी विधवा मां और तलाकशुदा बहन से अलग रहने का दबाव डाला। आदेश में कहा गया है कि क्रूरता का सबसे स्पष्ट कृत्य, जो तलाक का आधार बनता है, पत्नी द्वारा अपने पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ बार-बार धमकी देना और पुलिस में शिकायत दर्ज कराना था।