बासमती की कीमतों में बढ़ोतरी से किसानों में खुशी की लहर

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बीते साल बासमती धान की खेती करने वाले किसानों को अच्छी कीमत नहीं मिली थी और यह उनकी निराशा का कारण बन गया था. लेकिन इस बार कहानी बिल्कुल अलग है. बासमती की अलग-अलग किस्मों की कीमत इस बार धीरे-धीरे ही सही, लेकिन अब सही स्तर तक आ गई हैं. इससे किसानों में खुशी की लहर है. उन्हें पिछले साल से उलट इस बार अच्छी आमदनी की उम्मीद है.

हरियाणा में बड़े पैमाने पर किसान बासमती धान की खेती करते हैं. पिछले साल उचित भाव नहीं मिलने से किसानों ने इस बार बासमती के रकबे को कम कर दिया था. हालांकि इस बार स्थिति अलग हो गई है और किसानों को फायदा मिल रहा है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि रकबा घटने से उत्पादन हर साल की अपेक्षा कम हुई है और मांग बढ़ गई है. इस वजह से किसानों को लाभ हो रहा है.

कृषि विभाग के एक अधिकारी ने दी ट्रिब्यून से बात करते हुए कहा कि आम तौर पर किसान गैर बासमती धान की खेती ज्यादा करते हैं और थोड़े कम हिस्से पर बासमती की रोपाई होती है. लेकिन पिछले साल के मुकाबले यह 5 से 10 प्रतिशत तक घट गया है. क्षेत्रफल में कमी के कारण उत्पादन भी कम ही हुआ है, लेकिन मांग बढ़ गई है.

बासमती की अच्छी कीमत मिलने से किसान और किसान संगठन भी खुश हैं. हालांकि वे दाम में निरंतरता बरकरार रखने के लिए कायदे-कानून की मांग कर रहे हैं ताकि नुकसान से बचा जा सके. ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (AIREA) के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने कहा कि बासमती उत्पादक क्षेत्रों के लिए एक नियामक प्रणाली होनी चाहिए ताकि किसानों को उचित मूल्य मिल सके और निरंतरता रहे.

बीते साल बासमती की सी-30 किस्मों की बिक्री 3500 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास हो रही थी. लेकिन इस बार यह 4300 रुपए तक पहुंच गई है. सबसे अधिक फायदा 1121 किस्म की खेती करने वाले किसानों को हो रहा है. पिछले साल इस किस्म की कीमत गिर कर 2700 रुपए प्रति क्विंटल तक आ गई थी. लेकिन इस साल इसमें काफी बढ़ोतरी हुई है और किसान 4200 रुपए प्रति क्विंटल तक पर बासमती की इस किस्म की बिक्री कर रहे हैं.

किसानों का कहना है कि अगर भाव में निरंतरता बरकरार रहती है तो पिछले साल हुए नुकसान की भरपाई भी हो पाएगी. हालांकि किसान कीमतों में बढ़ोतरी के लिए रकबा में कमी को वजह नहीं मानते हैं. उनका कहना है कि महामारी के कारण यात्रा प्रतिबंधों और माल ढुलाई का असर इस क्षेत्र पर पड़ा और माल जैसे पहले अन्य राज्यों में जाते थे, उस तरह नहीं जा पाए. अब सबकुछ सामान्य है तो स्थिति में सुधार देखने को मिल रहा है.

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