मथुरा की तैयारी है…केशव मौर्य के नए नारे से गरमाई यूपी की सियासत, अखिलेश बोले-बीजेपी को मदद नहीं मिलने वाली

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उत्तरप्रदेश के विधानसभा चुनाव में अब ‘मथुरा’ की एंट्री हो गई है। बुधवार को प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशवप्रसाद मौर्य के ट्वीट ने सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है। मौर्य ने लिखा है- अयोध्या, काशी में भव्य मंदिर निर्माण जारी है। मथुरा की तैयारी है। जयश्रीराम, जय शिवशंभू, जय राधेकृष्ण। विपक्षी दल अब ट्वीट को लेकर हमलावर हैं। हिन्दुत्व के मुद्दे को हवा देने के आरोप के साथ सवाल भी पूछा है कि चुनाव से पहले ही भाजपा को भगवान क्यों याद आते हैं? सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि बीजेपी को किसी भी नारे या मंत्र से मदद नहीं मिलेगी।

केशव मौर्य के दो लाइन के ट्वीट ने बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। भाजपा का संगठन या सत्ता से जुड़ा कोई और नेता इस मुद्दे पर सामने नहीं आया है। हालांकि यूपी सरकार में ही कैबिनेट मंत्री स्वामीप्रसाद मौर्य ने अलग सुर अलापा है। उन्होंने कहा- अयोध्या, काशी व मथुरा न कभी चुनाव का मुद्दा था, न आज है और न ही भविष्य में रहेगा। प्रधानमंत्री हमेशा विकास के मुद्दे की बात करते हैं। कौशांबी में बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने मौर्य को आड़े हाथ लेते हुए कहा- जनता उनका असली चेहरा पहचान चुकी है। मौर्य अगर यह सोचते हैं कि वह ध्रुवीकरण कर लेंगे, तो यह सबसे बड़ी भूल है। सपा प्रवक्ता आशुतोष वर्मा कहने से नहीं चूके कि चुनाव में हिन्दुत्व की लाचारी है। कुछ दिन में आचार संहिता लगने वाली है, इससे पहले ही इस तरह का दांव खेला जा रहा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार का मथुरा पर विशेष फोकस रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्यात बरसाने की लठामार होली को राजकीय मेले का दर्जा ही नहीं किया बल्कि जन्माष्टमी के आयोजनों में भी भव्य स्वरूप प्रदान किया। हिन्दु महासभा, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्तिदल, नारायणी सेना समेत कुछ अन्य संगठनों ने छह दिसंबर को श्रीकृष्ण जन्मस्थली के विवादित स्थल तक संकल्प यात्रा निकालने और जलाभिषेक का भी सोशल मीडिया पर आह्वान किया था।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि की मुक्ति के लिए वर्ष 1996 में विश्व हिंदु परिषद ने मथुरा में विष्णु महायज्ञ का आयोजन कर आंदोलन की घोषणा की थी। तत्कालीन केंद्र सरकार ने जन्मभूमि की सुरक्षा के लिए जमीन से आसमान तक कड़ी सुरक्षा की थी। कोई आंदोलनकारी नहीं पहुंच सका। इसके बाद सुरक्षा घेरा बढ़ा दिया गया।

श्रीकृष्ण जन्मस्थान और ईदगाह प्रकरण को लेकर अदालत में अब तक कुल 10 वाद दायर हो चुके हैं। इनमें 1968 में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और ईदगाह ट्रस्ट के मध्य हुए समझौते (डिक्री) को रद करने और 13.37 एकड़ जमीन से ईदगाह का अवैध कब्जा हटाना, जिओ रेडियोलॉजी सिस्टम और जीपीआर सिस्टम से खुदाई कराने की मांग शामिल है। इन्हें लेकर सबसे पहला वाद 25 सितंबर 2020 को मथुरा कोर्ट में दायर किया गया, जिस पर सुनवाई जारी है।

डिप्टी सीएम के ट्वीट के बाद सियासत भले ही बुधवार को गरमाई हो लेकिन सबकी निगाहें मथुरा जिला कोर्ट में चल रहे दस विभिन्न वादों और उनके आने वाले फैसलों पर ही टिकी हैं।

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