हिमालय में बैठे एक बाबा चला रहे थे देश का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज NSE, योगी के सलाह पर फैसला लेती थीं CEO रामकृष्ण

SEBI का आरोप है कि NSE का अगले पांच सालों का क्या प्लान है, डिविडेंड को लेकर क्या फैसले लिए जा रहे हैं, एक्सचेंज का बिजनेस प्लान क्या है, NSE बोर्ड मीटिंग का एजेंडा क्या है, ऐसी बातें CEO रामकृष्ण योगी से शेयर करती थीं.

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नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी NSE की पहली महिला मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ चित्रा रामकृष्ण इस समय विवादों में हैं. मार्केट रेग्युलेटर SEBI ने उनपर गंभीर आरोप लगाए हैं. सेबी का आरोप है कि पूर्व एमडी चित्रा रामकृष्ण स्टॉक एक्सचेंज की महत्वपूर्ण और गोपनीय सूचना एक तीसरे शख्स को शेयर करती थीं. रेग्युलेटर का आरोप है कि NSE का अगले पांच सालों का क्या प्लान है, डिविडेंड को लेकर क्या फैसले लिए जा रहे हैं, एक्सचेंज का बिजनेस प्लान क्या है, NSE बोर्ड मीटिंग का एजेंडा क्या है, ऐसी तमाम महत्वपूर्ण जानकारियां उनके द्वारा उस तीसरे शख्स को शेयर की जा रही थी. सेबी का कहना है कि वह तीसरा शख्स एक बाबा है जो हिमालय पर्वत पर बैठा हुआ है.

SEBI ने अपने खुलासे में कहा कि चित्रा हिमालय के एक अनाम बाबा (योगी) के सलाह पर फैसला लेती थी. इन्हीं बाबा के सलाह पर उन्होंने आनंद सुब्रमण्यम को एक्सचेंज में समूह परिचालन अधिकारी (ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर) और प्रबंध निदेशक का सलाहकार नियुक्ति किया था. चित्रा रामकृष्ण और अन्य के खिलाफ शुक्रवार को पारित अपने अंतिम आदेश में सेबी ने यह खुलासा किया है. सेबी ने रामकृष्ण एवं अन्य पर जुर्माना भी लगाया. यह जुर्माना सुब्रमण्यम की नियुक्ति में प्रतिभूति अनुबंध नियमों के उल्लंघन को लेकर लगाया गया. नियामक ने यह कदम समूह के परिचालन अधिकारी और प्रबंध निदेशक (एमडी) के सलाहकार के रूप में आनंद सुब्रमण्यम की नियुक्ति में प्रतिभूति अनुबंध नियमों के उल्लंघन को लेकर लगाया है.

2013 से 2016 तक एक्सचेंज की एमडी और सीईओ

रामकृष्ण अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 तक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की एमडी एवं सीईओ थीं. वह योगी को सिरोमणि कहती थीं, जो उनके मुताबिक एक आध्यात्मिक शक्ति हैं और पिछले 20 वर्षों से व्यक्तिगत और व्यावसायिक मामलों पर उनका मार्गदर्शन कर रहे हैं. रामकृष्ण के अनुसार यह अज्ञात व्यक्ति या योगी कथित रूप से एक आध्यात्मिक शक्ति थी, जो अपनी इच्छानुसार कहीं भी प्रकट हो सकती थी.

कई अधिकारियों पर जुर्माना लगाया गया है

सेबी ने अपने 190 पन्नों के आदेश में पाया कि योगी ने उन्हें सुब्रमण्यम को नियुक्त करने के लिए निर्देशित किया. इस मामले में कार्रवाई करते हुए सेबी ने रामकृष्ण और सुब्रमण्यम के साथ ही एनएसई और उसके पूर्व प्रबंध निदेशक तथा मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि नारायण तथा अन्य पर भी जुर्माना लगाया. नियामक ने रामकृष्ण पर तीन करोड़ रुपए, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई), नारायण और सुब्रमण्यम पर दो-दो करोड़ रुपए तथा वी आर नरसिम्हन पर छह लाख रुपए का जुर्माना लगाया. इसके साथ ही नियामक ने एनएसई को कोई भी नया उत्पाद पेश करने से छह महीने के लिये रोक दिया.

बाजार से 3 साल के लिए पूरी तरह बैन

इसके अलावा, रामकृष्ण और सुब्रमण्यम को तीन साल की अवधि के लिए किसी भी बाजार ढांचागत संस्थान या सेबी के साथ पंजीकृत किसी भी मध्यस्थ के साथ जुड़ने को लेकर रोक लगायी गयी है. जबकि नारायण के लिये यह पाबंदी दो साल के लिये है. सेबी ने इसके अलावा एनएसई को रामकृष्ण के अतिरिक्त अवकाश के बदले भुगतान किये गये 1.54 करोड़ रुपए और 2.83 करोड़ रुपए के बोनस (डेफर्ड बोनस) को जब्त करने का भी निर्देश दिया.

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