ननकाना साहिब के दर्शन के लिए 3000 सिख श्रद्धालु जाएंगे पाकिस्तान, केन्द्र ने दी मंजूरी

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार (Central government) ने पाकिस्तान (Pakistan) में श्री गुरु नानक देव जी (Shri Guru Nanak Dev Ji) के जन्मस्थान पवित्र गुरुद्वारा ननकाना साहिब (Gurdwara Nankana Sahib) के लिए सिख तीर्थयात्रियों को जाने की अनुमति दे दी है। मई में ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के चलते यह धार्मिक यात्रा कुछ समय से बंद थी। अब सिख श्रद्धालुओं को फिर ननकाना साहिब के दर्शन का ऐतिहासिक अवसर मिलेगा। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के माध्यम से 3,000 श्रद्धालु नवंबर में अटारी सीमा के रास्ते पाकिस्तान जाएंगे। यह जत्था श्री गुरु नानक देव जी के जन्मस्थान ननकाना साहिब सहित पाकिस्तान के अन्य ऐतिहासिक गुरुद्वारों के दर्शन करेगा।

10 दिन का वीजा मिलेगा
केंद्रीय गृह मंत्रालय जत्थे को 10 दिन का वीजा देगा और जत्था भारत-पाक अटारी सीमा से जाएगा। जारी आदेश के मुताबिक यात्रा में शामिल होने के लिए श्रद्धालुओं को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के माध्यम से पासपोर्ट बनवाना जरूरी होगा। हालांकि इस पर आधिकारिक बयान आना बाकी है, लेकिन दोनों समितियों को इस बारे में सूचना दे दी गई है। केंद्र सरकार ने साफ किया है कि केवल एसजीपीसी और डीएसजीएमसी के रजिस्टर्ड 3000 सिख श्रद्धालु ही पाकिस्तान जा सकेंगे। अन्य संस्थाओं या व्यक्तिगत स्तर पर कोई जत्था नहीं भेजा जा सकेगा। दोनों समितियों को अपने-अपने राज्यों के गृह विभाग को श्रद्धालुओं की सूची भेजनी होगी। इसके बाद केंद्र की मंजूरी पर दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग वीजा जारी करेगा।

यात्रा बंद करन से सिख संगठनों में था रोष
पहले केंद्र सरकार ने नवंबर में गुरु नानक देव जी की जयंती पर ननकाना साहिब यात्रा को मंजूरी नहीं दी थी। गृह मंत्रालय ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को पत्र भेजकर भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति का हवाला दिया था। इससे सिखों में रोष ​था। सिख ​धार्मिक संगठन और कई राजनीतिक पार्टियां इस रोक को हटाने की मांग कर रही थी। एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने इस फैसले को सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं पर चोट करार देते हुए कहा कि भारत व पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच खेलने की अनुमति दी जा सकती है लेकिन हमें अपने धार्मिक स्थलों पर जाकर माथा टेकने की अनुमति नहीं मिल सकती। उन्होंने केंद्र से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की थी।

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