दरोगा ने 85% दृष्टिबाधित को बनाया लूट का आरोपी, लाठी को बताया हथियार, कोर्ट ने बरी कर 2 लाख मुआवजा दिलाया
राजस्थान हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक और संवेदनशील फैसले में एक दृष्टिबाधित व्यक्ति को लूट के आरोपों से बरी करते हुए राज्य सरकार को ₹2 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया है। चूरू जिले के सादुलपुर क्षेत्र में भीमसाना गांव के रहने वाले अमीचंद उर्फ मोतिया दृष्टिबाधित हैं। अदालत ने उन्हें निर्दोष घोषित करते हुए जेल से तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है। जस्टिस मनोज कुमार गर्ग की एकल पीठ ने यह फैसला ‘रिपोर्टेबल आदेश’ के रूप में पारित किया है, जिससे यह निर्णय भविष्य के मामलों में मिसाल बनेगा। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि गलत जांच करने वाले जांच अधिकारी और एसएचओ तारानगर के खिलाफ विभागीय जांच प्रारंभ की जाए।
क्या है मामला?
इसी साल मार्च के महीने में चूरू जिले के झोथड़ा गांव में एक युवक विनोद कुमार को पांच युवकों ने कथित रूप से अगवा कर मारपीट की और उससे नकदी छीन ली। पीड़ित के चाचा हरिसिंह की शिकायत पर पुलिस ने नामजद आरोपियों रामनिवास, सोनू, प्रताप और दो अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। जांच का जिम्मा हेड कांस्टेबल धर्मेंद्र कुमार को सौंपा गया, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि एफआईआर में नाम न होने के बावजूद 80-85% दृष्टिबाधित अमीचंद को सह-आरोपी बना दिया गया और उसकी कथित निशानदेही पर डंडा बरामद दिखाकर उसे गिरफ्तार कर चूरू सेंट्रल जेल भेज दिया गया। इसके बाद पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी। अमीचंद द्वारा दायर जमानत याचिका को भी निचली अदालत ने खारिज कर दिया।

एसपी की जांच से सामने आया सच
घटना की गंभीरता और अमीचंद की दिव्यांगता को देखते हुए परिजनों ने अधिवक्ता हरदीप सिंह के नेतृत्व में 6 जून को चूरू एसपी जय यादव से पुनः जांच की मांग की। एसपी ने आईपीएस अधिकारी निश्चय प्रसाद एम से दोबारा जांच करवाई जिसमें स्पष्ट हुआ कि अमीचंद का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि, तब तक केस में चार्जशीट दाखिल हो चुकी थी और निचली अदालत ने बीएनएस की धारा 189 (पूर्व CrPC 169) के तहत दाखिल रिहाई आवेदन भी 27 जून को तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि पुनः जांच के लिए न्यायालय की अनुमति अनिवार्य थी, जबकि जांच एसपी स्तर पर की गई थी।
हाईकोर्ट का हस्तक्षेप और ऐतिहासिक फैसला
अधिवक्ता कौशल गौतम द्वारा दाखिल रिवीजन याचिका पर सुनवाई करते हुए 11 जुलाई 2025 को जस्टिस मनोज कुमार गर्ग ने स्पष्ट किया कि अमीचंद निर्दोष है, उसे तुरंत रिहा किया जाए। चूरू कलेक्टर 15 दिन के भीतर उसकी दृष्टिबाधिता की जांच करवाएं। यदि पुष्टि होती है, तो राज्य सरकार ₹2 लाख मुआवजा देगी, जो मानसिक व शारीरिक क्षति की भरपाई के लिए होगा। जांच अधिकारी व थानाधिकारी तारानगर पर चूरू एसपी द्वारा विभागीय कार्रवाई की जाएगी।