हाईकोर्ट ने फिर खारिज की आसाराम की जमानत, ज्यादा उम्र और खराब सेहत का दिया था हवाला

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गुजरात हाई कोर्ट (Gujarat High Court) ने 2013 में एक महिला द्वारा दाखिल किये गए बलात्कार के मामले (Rape Case) में जेल में बंद आसाराम (Asaram) की जमानत याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी है. गुजरात हाई कोर्ट ने मामले में गांधीनगर सत्र अदालत को चार महीने में मामले की सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया है. आसाराम की करीब 15 जमानत याचिकाओं को लोअर से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक खारिज कर चुके हैं.

न्यायमूर्ति ए जे देसाई ने अभियोजन पक्ष द्वारा उठाई गई आपत्तियों के बाद जमानत याचिका को खारिज करते हुए गांधीनगर सत्र अदालत को चार महीने में मामले की सुनवाई पूरी करने का भी निर्देश दिया. दरअसल सूरत की एक महिला ने आसाराम के खिलाफ यौन शोषण करने का मामला दर्ज करा रखा है. महिला का आरोप है कि वर्ष 1997 से 2006 के बीच मोटेरा आश्रम में रहने के दौरान आसाराम ने उसका यौन शोषण किया.

कल रिपोर्ट ने उसकी सेहत को सामान्य बताया है. आसाराम के खिलाफ गवाही देने वाले सात लोगों पर पूर्व में हमला हो चुका है. इसमें से दो लोगों की जान भी जा चुकी है. ऐसे में आसाराम को जमानत नहीं दी जाए. दोनों पक्ष को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने आसाराम की जमानत याचिका को खारिज कर दिया. जोधपुर केंद्रीय कारागार में आसाराम बलात्कार के दो मामलों में आजीवन कारावास सहित अलग-अलग अवधि की सजा भुगत रहा है. जेल जाने के बाद से कई बार आसाराम की तबीयत बिगड़ी है. सेहत का हवाला देकर वह कई बार जमानत याचिका दायर कर चुका है.

वहीं हाल ही में आसाराम के अनुयायी ने कुछ पर्चे बांटे थे. जिनमें आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम को महंत नरेंद्र गिरी की तरह समाप्त किए जाने की आशंका जताई गई थी. साथ ही दावा किया गया था कि प्रयागराज के बाबा की तर्ज पर ही आसाराम के निकटजन उसे खत्म कर सकते हैं.

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