अब इस देश में सरकार के खिलाफ सड़कों पर आए प्रदर्शनकारी, 700 लोगों की मौत, कर्फ्यू लगा, इंटरनेट भी बंद
नई दिल्ली: तंजानिया में हाल ही में हुए राष्ट्रीय चुनावों के बाद हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। वोटिंग के नतीजे आने से पहले ही देशभर में हिंसक विरोध प्रदर्शन भड़क उठे हैं। इन प्रदर्शनों ने अब एक भीषण रूप ले लिया है। विपक्षी दलों का दावा है कि इसमें 700 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि संयुक्त राष्ट्र ने कम से कम 10 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है।
हिंसा का केंद्र बना दार-ए-सलाम और म्वांजा
तंजानिया की मुख्य विपक्षी पार्टी ‘चाडेमा (CHADEMA)’ ने आरोप लगाया है कि दार-ए-सलाम और म्वांजा शहरों में सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध कार्रवाई की। पार्टी प्रवक्ता जॉन किटोका ने विदेशी मीडिया से कहा — “दार-ए-सलाम में करीब 350 और म्वांजा में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। अगर पूरे देश के आंकड़े जोड़ें तो लगभग 700 मौतें हो चुकी हैं।” पार्टी का कहना है कि उसके कार्यकर्ताओं ने देशभर के अस्पतालों और शवगृहों का दौरा करके यह आंकड़ा जुटाया है। हालांकि सरकार ने अब तक किसी आधिकारिक मृतक संख्या की पुष्टि नहीं की है।
संयुक्त राष्ट्र की चिंता
यूएन मानवाधिकार कार्यालय ने इस स्थिति पर चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र प्रवक्ता सेफ मगांगो ने जिनेवा में प्रेस ब्रीफिंग में कहा —“विश्वसनीय रिपोर्टों के अनुसार, सुरक्षा बलों की कार्रवाई में कम से कम 10 लोगों की मौत हुई है। हम तंजानिया सरकार से अपील करते हैं कि वे शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल का इस्तेमाल बंद करें और तनाव घटाने के लिए हरसंभव कदम उठाएं।”
क्या है पूरा मामला?
यह हिंसा बुधवार को हुए विवादित चुनावों के बाद भड़की। चुनाव से पहले दो प्रमुख विपक्षी पार्टियों को चुनाव लड़ने से रोक दिया गया था। कई विपक्षी नेताओं को हिरासत में लिया गया या उन पर मुकदमे दर्ज हुए। इससे नाराज नागरिकों ने सड़कों पर उतरकर चुनाव रद्द करने और नए सिरे से वोटिंग की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने दार-ए-सलाम में कई वाहनों, एक पेट्रोल स्टेशन और कुछ पुलिस चौकियों में आग लगा दी। इसके बाद सरकार ने सड़कों पर सेना उतार दी, इंटरनेट बंद कर दिया और कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया।

तीसरे दिन भी जारी टकराव
शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन भी पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़पें जारी रहीं। दार-ए-सलाम के मबागला, गोंगो ला म्बोटो और किलुव्या इलाकों में सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले छोड़े, जबकि कई जगहों पर गोलियां चलने की आवाजें सुनी गईं।
राष्ट्रपति सामिया सुलुहू हसन पर आरोप
विपक्षी दलों और मानवाधिकार संगठनों ने राष्ट्रपति सामिया सुलुहू हसन की सरकार पर लोकतंत्र कुचलने और विपक्ष को दबाने का आरोप लगाया है। रिपोर्टों के मुताबिक, चुनावों से पहले सरकार ने कई पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था।
अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा
अंतरराष्ट्रीय समुदाय, जिसमें संयुक्त राष्ट्र, अफ्रीकी संघ और यूरोपीय संघ शामिल हैं, ने तंजानिया से संवाद और पारदर्शी जांच की मांग की है। अगर स्थिति जल्द नहीं संभली, तो देश में आपातकाल या सैन्य हस्तक्षेप की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।