नई दिल्ली : अमेरिका (US) से एक ओर जहां लगातार ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि भारत पर लगा 50% हाई टैरिफ कम किया जा सकता है. खुद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐसे बयान दिए हैं. वहीं अब रिपोर्ट्स की मानें, तो भारत भी अमेरिका को राहत देने के मूड में नजर आ रहा है. इसमें India-US Trade Deal से संबंधित अधिकारियों के वाले से ऐसा कहा जा रहा है कि अगर US Tariff Cut करता है, तो फिर भारत भी तमाम प्रोडक्ट पर टैरिफ घटाने को तैयार है.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की लचीली घरेलू अर्थव्यवस्था और निर्यात में अनुमान से कम गिरावट, अमेरिका के साथ चल रही ट्रेड डील पर बातचीत में भारत को ही लाभ पहुंचा रही है. अक्टूबर में अमेरिका को निर्यात सालाना आधार पर 8.6% गिरकर 6.3 अरब डॉलर रहा, लेकिन ये इससे पिछले सितंबर महीने की 12 फीसदी गिरावट तुलना में काफी कम है. जबकि दोनों ही महीनों में अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ का असर दिखा.
एक सीनियर अधिकारी के हवाले से इस रिपोर्ट में बताया गया है कि फिलहाल, हम 50% अमेरिकी टैरिफ के सबसे बुरे असर से बच गए हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि कपड़ा निर्यात के ऑर्डरों में जरूर बड़ी गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन व्यापक आर्थिक असर सीमित ही है. इससे ट्रेड वार्ता के लिए भारत को और भी ज्यादा सोच-समझकर कदम उठाने की गुंजाइश बनती है. भारत ने भी साफ किया है कि जल्दबाजी में कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा, जैसा कि जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों ने US के साथ किए हैं.

India-US Trade Deal से परिचित अधिकारियों ने उम्मीद जताते हुए कहा है कि अमेरिका अंततः रूसी तेल (Russian Oil) खरीद पर भारत पर लगाए गए 25% टैरिफ को कम कर देगा और कुल मिलाकर 15% टैरिफ की ओर बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि इसके बदले में भारत 80% से ज्यादा सामानों पर टैरिफ कम (Tariff Cut) करने को तैयार है, लेकिन एग्रीकल्चर समेत अन्य संवेदनशील सेक्टर्स को संरक्षण देते हुए.
अप्रैल से अक्टूबर 2025 तक के व्यापारिक आंकड़े भी राहत भरे हैं. इंजीनियरिंग प्रोडक्ट्स, फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स और जेम्स एंड ज्वेलरी की मज़बूत डिमांड के चलते अमेरिका 52.12 अरब डॉलर के साथ भारत का टॉप एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन बना हुआ है. वहीं UAE, नीदरलैंड और चीन क्रमशः 22.14 अरब डॉलर, 11.98 अरब डॉलर और 10.03 अरब डॉलर के निर्यात के साथ इसके बाद रहा.
इस बीच, चीन (China) भारत के लिए आयात का सबसे बड़ा स्रोत बना हुआ है, जो महत्वपूर्ण ग्लोबल सप्लाई चेन पर देश की निरंतर निर्भरता को प्रदर्शित करता है. इस बीच, भारतीय निर्यातकों ने भी विविधिता लाई है और अफ्रीकी व यूरोपीय बाजारों में पहुंच बनाई है.