30 लाख का खर्चा, डंकी रूट से पहुंचे थे अमेरिका; अब बेड़ियों में बंधे लौटे भारतीय

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नई दिल्ली : भारतीय प्रवासियों को लेकर अमेरिकी सैन्य विमान बुधवार (5 फरवरी, 2025) को अमृतसर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरा. यह निर्वासित लोग वही हैं, जिन्होंने विभिन्न माध्यमों से संयुक्त राज्य में प्रवेश करने का प्रयास किया था. उन्हें वापस भेजा गया तो उनके हाथों में हथकड़ियां बांधी गई, पैरों में बेड़िया लगाई गई और केवल भारत पहुंचने पर ही उन्हें जाने दिया गया.

अमेरिका से लाए गए भारतीयों में 33 हरियाणा और गुजरात से, 30 पंजाब से, तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से और दो चंडीगढ़ से थे. इन लोगों में 19 महिलाएं और 13 नाबालिक बच्चे भी शामिल थे, जिसमें एक चार साल का बच्चा और 5 और 7 साल की दो लड़कियां भी शामिल थी.

यह वही लोग हैं, जो विभिन्न तरीकों से अमेरिका पहुंचे थे. कोई खतरनाक पहाड़ों पर चढ़ाई करके गया था तो कोई घने जंगलों से गुजर और सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा करके अमेरीका पहुंचा था. इतनी खतरनाक रास्तों से गुजरने के बाद भी अंत में उन्हें मिली भी तो बेड़ियां.

जिन लोगों को भारत लाया गया है. उनसे जब बात की गई तो कई लोगों ने बताया कि उन्हें अमेरिका पहुंचने के लिए लाखों रुपए खर्च करने पड़े. गुरदासपुर के जसपाल सिंह ने बताया कि उन्होंने 30 लाख रुपए एजेंट को दिए थे. उनको लगा कि उनकी यात्रा हवाई मार्ग से होगी, लेकिन बजाय इसके उन्हें खतरनाक गड्ढे के रास्ते पर जाने के लिए मजबूर किया गया, जहां से तस्कर आया जाया करते थे. उन्होंने पहले 6 महीने ब्राजील में बताएं. इसके बाद 24 जनवरी को उन्हें गिरफ्तार किया गया और 11 दिनों बाद उन्हें निर्वासित किया गया.

वहीं पंजाब के होशियारपुर के हरविंदर सिंह ने एक एजेंट को अमेरिका जाने के लिए 42 लाख रुपए दिए थे, लेकिन हरविंदर सिंह को अमेरिका से पहले कई देशों में ले जाया गया. पहले कतर, फिर ब्राज़ील, पेरु, कोलंबिया, पनामा निकारागुआ और मैक्सिको से होकर वह अमेरिका पहुंचे थे.

उन्होंने बताया कि वह कई दिनों तक पैदल चल चलते रहे थे, उन्होंने 17-18 पहाड़ भी पार किए और एक बार तो ऐसा हुआ कि वह लगभग समुद्र में डूब गए थे. उन्होंने बताया कि उन्होंने एक व्यक्ति को पनामा के जंगल में मरते देखा और दूसरे को समुद्र में डूबते. इन प्रवासियों को उम्मीद थी कि जब वे अमेरिका पहुंच जाएंगे तो वहां पर उन्हें अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी मिल जाएगी.

रॉइटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्वाटेमाला में प्रवासियों को निर्वासित करने वाली हाल ही में एक सैन्य फ्लाइट की लागत प्रति व्यक्ति काम से कम 4,09,331 रुपए आती है (4675 डॉलर्स), जो अमेरिकन एयरलाइंस की एक तरफ फर्स्ट क्लास के टिकट की लागत से 5 गुना ज्यादा है.

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