नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने एक अहम फैसले में लद्दाख (Ladakh) के लेफ्टिनेंट गवर्नर (Lieutenant Governor) से मौजूदा डेलीगेटेड फाइनेंशियल पावर (Delegated Financial Power) छीन ली हैं, जिनका इस्तेमाल अब भारत सरकार (Indian Goverment) का गृह मंत्रालय करेगा. नई गाइडलाइंस के मुताबिक, MHA के पास अब LG के पास पहले से मौजूद 100 करोड़ रुपये तक की स्कीम और प्रोजेक्ट को मंजूरी देने की पावर होगी.
इसी तरह, एडमिनिस्ट्रेटिव सेक्रेटरी की 20 करोड़ रुपये तक के प्रोजेक्ट को मंजूरी देने की फाइनेंशियल पावर MHA को दे दी गई हैं, जबकि चीफ इंजीनियर, डिपार्टमेंट हेड, जिसमें डिप्टी कमिश्नर और सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर शामिल हैं, को भी 3 करोड़ रुपये से 10 करोड़ रुपये के बीच के अलग-अलग काम को मंजूरी देने की डेलीगेटेड पावर का इस्तेमाल करने से रोक दिया गया है.केंद्रीय गृह मंत्रालय से मिले निर्देशों के आधार पर लद्दाख के लेफ्टिनेंट गवर्नर कविंदर गुप्ता ने इस बारे में एक ऑर्डर जारी किया है. पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मोड के तहत 100 करोड़ रुपये तक की स्कीम/प्रोजेक्ट्स की मंजूरी, जो पहले लेफ्टिनेंट गवर्नर के पास थी, अब केंद्रीय गृह मंत्रालय देगा. लेफ्टिनेंट गवर्नर की 100 करोड़ रुपये तक की एडमिनिस्ट्रेटिव मंज़ूरी और खर्च और एडमिनिस्ट्रेटिव सेक्रेटरी की 20 करोड़ रुपये तक की मंजूरी देने की शक्तियों में भी बदलाव किया गया है. ये मंजूरी अब MHA देगा.

सबसे जरूरी डेवलपमेंट डिपार्टमेंट के हेड और डिप्टी कमिश्नरों की 5 करोड़ रुपये तक के अलग-अलग कामों को मंजूरी देने की शक्तियों को वापस लेना है, जो MHA के पास चली गई थीं. ये सभी अधिकारी लेह और कारगिल हिल डेवलपमेंट काउंसिल के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (CEO) के तौर पर काम करते हैं, जिससे वे असल में काम नहीं कर रहे हैं.
चुनाव में देरी के कारण लेह हिल काउंसिल पांच साल का टर्म पूरा करने के बाद खत्म हो गई है, जबकि कारगिल हिल काउंसिल बनी हुई है. लेह हिल काउंसिल की शक्तियां डिप्टी कमिश्नर लेह को दे दी गई हैं. चीफ इंजीनियर और सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर को एक के बाद एक 10 करोड़ रुपये और 3 करोड़ रुपये तक के अलग-अलग कामों को मंजूरी देने की पावर भी मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स को दे दी गई है.