रायबरेली की घटना पर फैलाया जा रहा भ्रम! एसपी ने कहा- दलित नहीं चोर समझकर लोगों ने पीटा, 5 गिरफ्तार

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रायबरेली: रायबरेली में 38 वर्षीय हरिओम वाल्मीकि नामक दलित युवक की हत्या के मामले में पुलिस ने बड़ा एक्शन लेते हुए पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई हो सकती है। वहीं वीडियो के आधार पर कई अन्य लोगों की भी पहचान की गई है जिनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। यह जानकारी रायबरेली के एसपी डॉ. यशवीर सिंह ने दी है। उन्होंने बताया कि यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि दलित होने के कारण हरिओम वाल्मीकि की हत्या की गई, जबकि ऐसा नहीं है। लोगों ने चोर समझकर उसे पीटा।

पांच गिरफ्तार, अन्य लोगों की हो रही पहचान
एसपी यशवीर सिंह ने बताया कि 2 अक्टूबर की रात लगभग 1 बजे ऊंचाहार पुलिस स्टेशन के अंतर्गत जमुनापुर गांव में ग्रामीणों की भीड़ ने 38 वर्षीय हरिओम वाल्मीकि नामक एक व्यक्ति को पीट-पीटकर मार डाला। पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज कर पांच लोगों विजय सिंह, वैभव सिंह, विपिन मौर्य, सहदेव पासी और सुरेश कुमार मौर्य को गिरफ्तार किया। वीडियो के आधार पर, कई अन्य लोगों की पहचान की गई है और उनके खिलाफ भी एक्शन लिया जा रहा है।

गैंगस्टर और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई
एसपी ने बताया कि घटनास्थल पर कई अन्य लोग भी मौजूद थे जो सिर्फ तमाशबीन बने हुए थे। वे अपने कर्तव्यों को पूरा करने में विफल रहे। उन्हें इस घटना को रोकने की पहल करनी चाहिए थी और पुलिस को जानकारी देनी चाहिए। ऐसा उन लोगों ने नहीं किया। ऐसे करीब 15-20 लोग जो घटनास्थल पर मौजूद थे उन्हें भी गिरफ्तार किया जाएगा। इन लोगों की गिरफ्तारी के बाद हम एक आरोप पत्र दायर करेंगे और गैंगस्टर अधिनियम और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई करेंगे।

पांच पुलिसकर्मी सस्पेंड
एसपी यशवीर सिंह ने बताया कि लापरवाही बरतने पर पांच पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है। पुलिस स्टेशन प्रमुख को हटा दिया गया है। घटना स्थल पर कोई भी व्यक्ति या उसकी जाति को नहीं जानता था। हत्यारों में मौर्य और पासी जाति के सदस्य शामिल थे। सामान्य जाति के लोग भी घटना में शामिल थे।

बता दें कि रायबरेली की घटना पर सियासत भी गरमा गई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस घटना को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने कहा कि दलित युवक हरिओम वाल्मीकि की हत्या एक इंसान नहीं बल्कि इंसानियत, संविधान और न्याय की हत्या है। देश में नफरत, हिंसा और भीड़तंत्र को सत्ता का संरक्षण मिला हुआ है।

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