लखनऊः नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ़ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स के आह्वान पर देश भर में लगभग 27 लाख बिजली कर्मचारी उत्तर प्रदेश में किए जा रहे बिजली के निजीकरण के विरोध में 09 जुलाई को एक दिन की सांकेतिक हड़ताल करेंगे। इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल के साथ प्रदेश के एक लाख से अधिक बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी ,जूनियर इंजीनियर और अभियंता पूरे दिन कार्यालयों / कार्य स्थल के बाहर आकर व्यापक विरोध प्रदर्शन करेंगे।
सरकारी और निजी संस्थानों में बाधित हो सकती है बिजली सप्लाई
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के केंद्रीय पदाधिकारियों ने बताया कि 9 जुलाई को होने वाली हड़ताल भारत सरकार और राज्य सरकारों की निजीकरण की नीति के विरोध में की जा रही है। उन्होंने बताया कि हड़ताल में बिजली के साथ रेल, बैंक, बीमा, बीएसएनएल, पोस्टल, केन्द्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रम, केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के कर्मचारी, निजी कल कारखानों के कर्मचारी आदि पूरे देश में लगभम 25 करोड़ कर्मचारी और मजदूर सम्मिलित होंगे। निजीकरण के विरोध में 9 जुलाई की हड़ताल ऐतिहासिक हड़ताल होगी।
निजीकरण का विरोध कर रहे हैं कर्मचारी

संघर्ष समिति ने बताया कि नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी ऑफ़ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स की नोटिस में भारत सरकार से मांग की गई है कि वह हस्तक्षेप कर उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दें कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का फैसला बिजली कर्मचारियों के व्यापक हित में वापस लिया जाय। उन्होंने बताया कि 10 राष्ट्रीय ट्रेड यूनियनों के मांगपत्र में भी उप्र में दो विद्युत वितरण कंपनियां के निजीकरण के निर्णय को निरस्त करने की मुख्य मांग है।
केंद्र और राज्य के कर्मचारी करेंगे प्रदर्शन
समिति ने कहा कि इस प्रकार पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में 9 जुलाई को बिजली कर्मचारियों के अतिरिक्त सार्वजनिक उपक्रमों, अन्य उद्योगों, केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों के कर्मचारी भी सड़क पर उतर कर यूपी के बिजली कर्मियों के साथ अपनी एकजुटता का प्रदर्शन करेंगे। बता दें कि बिजली कर्मचारियों के हड़ताल से कई क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति बाधित हो सकती है।