सिक्योरिटीज पर TDS को लेकर कंफ्यूजन में निवेशक, बजट में इसका हल निकाल सकती है सरकार!

टीडीएस और टीसीएस को लेकर कंफ्यूजन है. खासकर सिक्योरिटीज की ट्रेडिंग और ट्राजैक्शन में. लोग चाहते हैं कि सरकार इस बजट में इस कंफ्यूजन को दूर करे और सिक्योरिटीज पर टीसीएस और टीडीएस का प्रावधान खत्म करे.

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कुछ दिनों में बजट (Budget 2022) पेश होने वाला है. इससे पहले निवेशकों में टीडीएस (TDS) और टीसीएस को लेकर कंफ्यूजन बना हुआ है. पिछले दोनों बजट में सिक्योरिटीज की ट्रेडिंग को लेकर ट्रांजैक्शन का नियम लाया गया. लेकिन निवेशकों के मन में यह सवाल बना हुआ है कि सिक्योरिटीज पर टीडीएस कटने का क्या नियम होगा. निवेशक चाहते हैं कि सरकार इस बजट में इस कंफ्यूजन को दूर करे. निवेशकों का ध्यान बजट में सरकार के ऐलान पर लगा है कि सिक्योरिटीज के लिए टीडीएस और टीसीएस (TCS) के नियम का क्या होगा.

पिछले कुछ बजट पर गौर करें तो पाएंगे कि सरकार ने टैक्स का दायरा बढ़ाया है. सामानों की खरीद-बिक्री पर टीडीएस और टीसीएस के प्रावधान का ऐलान किया गया. सरकार ने प्रावधानों की घोषणा कर दी, लेकिन निवेशक अब भी कंफ्यूजन में हैं कि सिक्योरिटीज की ट्रेडिंग पर किस तरह का टैक्स कटेगा और इसका नियम क्या होगा. निवेशकों की मांग है कि सरकार आगामी बजट में इस टैक्स नियम को स्पष्ट करे.

क्या है टीडीएस, टीसीएस का नियम

बजट 2020 में सरकार ने सामान की बिक्री पर टीसीएस का नियम शुरू किया. नियम के मुताबिक 1 अक्टूबर 2020 से सामानों की बिक्री पर 0.1 परसेंट के हिसाब से टीसीएस कटेगा. इसके बाद 1 जुलाई 2021 से टीडीएस का नियम लाया गया. यह नियम सामान की खरीदारी के लिए बनाया गया. नियम के मुताबिक सामान की खरीदारी पर 0.1 परसेंट का टीडीएस लगता है.

बजट में ‘गुड्स’ (माल) पर टीडीएस और टीसीएस लगाने का नियम बना दिया गया, लेकिन इस प्रावधान में गुड्स का क्या अर्थ है और इस श्रेणी में कौन-कौन माल आएगा, इस पर कुछ स्पष्ट नहीं बताया गया. इससे लोगों या निवेशकों में कंफ्यूजन है. एक कंफ्यूजन सिक्योरिटीज की ट्रेडिंग में लगने वाले टीडीएस और टीसीएस को लेकर भी है. सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स एक्ट, 2017 और सिक्योरिटीज कॉन्ट्रेक्ट (रेगुलेशन) एक्ट, 1956 के मुताबिक सिक्योरिटीज को ‘गुड्स’ का दर्जा नहीं दिया गया है इसके लिए टैक्स का नियम अलग है.

लोगों के बीच क्यों है कंफ्यूजन

Fortune India की एक रिपोर्ट कहती है कि मामला तब पेचीदा हो गया जब सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) ने एक सर्कुलर जारी किया. इसमें कहा गया कि सिक्योरिटीज के ट्रांजैक्शन पर ‘गुड्स’ के हिसाब से टीडीएस और टीसीएस लागू नहीं होगा अगर सिक्योरिटीज किसी मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्सचेंज से खरीदा गया हो. अगर सिक्योरिटीज को किसी मान्यताप्राप्त क्लीयरिगं कॉरपोरेशन से सेटल किया गया हो तो भी टीडीएस या टीसीएस का नियम लागू नहीं होगा. इस नियम से ऐसा लगता है कि सिक्योरिटीज गुड्स की श्रेणी में आते हैं और इनका ऑफ मार्केट सेल किया जाए तो उस पर टीडीएस और टीसीएस लागू होगा. यहां ऑफ मार्केट सेल का अर्थ है किसी मान्यताप्राप्त एक्सचेंज या क्लीयरिंग कॉरपोरेशन से सिक्योरिटीज का ट्रांजैक्शन न किया गया हो.

आगामी बजट में उम्मीद की जा रही है कि सिक्योरिटीज के ट्रांजैक्शन पर टीडीएस और टीसीएस लागू नहीं होगा. लोगों को यह भी उम्मीद है कि सिक्योरिटीज की ट्रेडिंग को अगर टीडीएस और टीसीएस के दायरे से बाहर निकाला जाता है तो यह नियम तब से अप्लाई किया जाए जब से टीडीएस और टीसीएस का प्रावधान लाया गया है.

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