Jallianwala Bagh : पंजाब ही नहीं पूरे देश में 13 अप्रैल को बेसाखी का त्यौहार मनाया जाता है । दिलचस्प है कि इतनी विविधता और विभिन्न संस्कृतियों वाले देश भारत में ये एकमात्र दिन ऐसा है जो किसी न किसी रूप में सब जगह उत्सव की तरह मनाया जाता है । इसके अलावा आज एक ओर दिन है जिसका दुख लोगो के जहन से कभी खतम नही होगा । आज के ही दिन जलियाबाला कांड हुआ था । जिसमें 1000 से ज्यादा लोग मारे
साल 1919 के शुरुआती महीने ब्रिटिश सरकार रॉलेट एक्ट को लाने की तैयारी कर हो रही थी । इस एक्ट से ब्रिटिश सरकार को ये ताकत मिल जाती कि वो किसी भी भारतीय को बिना किसी मुकदमे के जेल में बंद डाल देगी । भारतीयों ने इस एक्ट का पुरजोर विरोध में उतरें । इसके बावजूद 8 मार्च से इस एक्ट को लागू कर दिया गया। विरोध में जगह-जगह हड़ताल में विरोध करने लगे ।
गांधी जी ने इस कड़ी में 6 अप्रैल को देशव्यापी हड़ताल चालू कर दी । पूरे देश की तरह पंजाब में भी विरोध प्रदर्शन चल रहा है । 9 अप्रैल को पुलिस ने अमृतसर के लोकप्रिय नेताओं डॉ. सत्यपाल और सैफुद्दीन को गिरफ्तार किया गया । नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में 10 अप्रैल को एक प्रदर्शन हुआ, जिसमें पुलिस की गोलीबारी में कुछ प्रदर्शनकारी जान से मारे गये । हालात बिगड़ते देख सरकार ने पंजाब में मार्शल लॉ लागू कर कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी ब्रिगेडियर जनरल डायर को सौंप दी।
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प्रदर्शन फिर भी रुके नहीं। रॉलेट एक्ट को वापस लेने और अपने नेताओं की रिहाई की मांग को लेकर 13 अप्रैल को अमृतसर के जलियांवाला बाग में एक सभा रखने के लिए लोग जमा हुए । सभा में 25 से 30 हजार लोग मौजूद थे । तभी वहां जनरल डायर अपने सैनिकों के साथ आ धमका और सभा में मौजूद निहत्थे लोगों पर गोली चलाने का order दे दिया गया । सभा में अफरा-तफरी मच गई। लोग जान बचाने के लिए भागे । कई लोग बाग में मौजूद कुएं में कूद गए । करीब 10 मिनट तक गोलीबार चली । जिसमें करीब 1 हजार लोगों मारे गये । हालांकि इस कांड की जांच के लिए बनी हंटर कमेटी ने मरने वालों की संख्या 379 बताई गई ।
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रिर्पोट – शिवी अग्रवाल