महाराष्ट्र: ‘संवैधानिक संस्थाए वही निर्णय ले रहे हैं जो केंद्र चाहता है’, चुनाव आयोग के शिवसेना आदेश पर बोले शरद पवार

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मुंबई: महाराष्ट्र में शिवसेना विवाद को लेकर इस दिनों राज्य की राजनीति में गरमाई हुई है। पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न को लेकर मचा घमासान रुकने का नाम नहीं ले रहा है। चुनाव आयोग द्वारा एकनाथ शिंदे को पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न देने के बाद उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इस बीच, एनसीपी चीफ शरद पवार का बयान सामने आया है। पवार ने इस दौरान केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि एक विचारधारा और पार्टी देश में भाईचारे को खत्म कर रही है।

शिवसेना के विवाद पर बोलते हुए शरद पवार ने कहा, “अटल बिहारी बाजपेयी जब प्रधानमंत्री थे तब देश की संस्था पर इस तरह का हमला नहीं हुआ था। नरेंद्र मोदी की हुकुमत में देश की संस्था पर हमला हुआ। आज की हुकुमत दूसरे राजनीतिक दल को काम नहीं करना देना चाहती है। चुनाव आयोग का इस्तेमाल हो रहा है। ये राजनीतिक दल पर हमला है। चुनाव आयोग ने ऐसा कभी फैसला नहीं दिया था। पहली बार इस तरह का चुनाव आयोग का फैसला देखा।”

संस्था का दुरुपयोग
राकांपा प्रमुख ने कहा, ‘चुनाव आयोग ने कुछ दिन पहले एक फैसला दिया था। यह एक उदाहरण है कि कैसे एक संस्था का दुरुपयोग किया जा सकता है। हमने चुनाव आयोग का ऐसा फैसला कभी नहीं देखा। बालासाहेब ठाकरे ने अपने आखिरी दिनों में कहा था कि उनके बाद उद्धव ठाकरे को शिवसेना की जिम्मेदारी दी जाएगी।’

राजनीतिक दलों पर बड़ा हमला
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने आगे कहा, ‘लेकिन किसी ने चुनाव आयोग से शिकायत की और चुनाव आयोग ने फैसला सुनाया और इस पार्टी को बनाने वालों में से किसी और को शिवसेना और उसका चिन्ह आवंटित कर दिया। यह राजनीतिक दलों पर बड़ा हमला है।’

संवैधानिक संस्थाए वही निर्णय ले रहे हैं जो केंद्र चाहता है
उन्होंने कहा, ‘आज चुनाव आयोग और अन्य संस्थाएं वही फैसले दे रही हैं जो सत्ताधारी सरकार चाहती है। आज देश में मोदी के नेतृत्व में काम कर रहे संगठन को लगता है कि सत्ता उनके हाथ में रहेगी।

मीडिया से बात करते हुए शरद पवार ने कहा, कांग्रेस के साथ मेरी भी लड़ाई हुई थी। तब दो पार्टियां होतीं, कांग्रेस-आई और कांग्रेस-एस। मैं कांग्रेस ‘एस’ का अध्यक्ष था। इंदिरा गांधी कांग्रेस ‘आई’ की मुखिया थीं। तब कांग्रेस नाम के इस्तेमाल का अधिकार था। नाम नहीं हटाया गया है। कांग्रेस ने हाथ लिया तो हमने घड़ी ले ली।” उन्होंने कहा, तब पार्टी और चुनाव चिन्ह को लेकर लेकिन उस समय चुनाव आयोग का फैसला सही था।

EC के आदेश पर नहीं लगाई रोक, शिंदे से मांगा जवाब
इससे पहले, आज उद्धव ठाकरे की द्वारा दायर याचिका (शिवसेना नाम और पार्टी चिह्न के EC के आदेश को चुनौती) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने इस मामले में एकनाथ शिंदे गुट को एक नोटिस जारी किया है और दो हफ्ते में जवाब देने के लिए कहा है। वहीं, शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग के फैसले पर रोक तो नहीं लगाई है। वहीं, अदालत ने उद्धव गुट अभी मिले अस्थाई नाम और चुनाव चिह्म का इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 3 हफ्ते बाद की जाएगी।

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