Ukraine Russia Economy : लंबे समय तक विश्व की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा रूस और यूक्रेन का युद्ध

0 290

Ukraine Russia Economy :कोरोना संकट से उबर रही विश्व अर्थव्यवस्था यूक्रेन पर रूस के हमले के कारण फिर से गंभीर संकट से घिर गई है। इस हमले के कारण जहां यूक्रेन से होने वाला निर्यात ठप पड़ गया है, वहीं रूस से होने वाली आपूर्ति भी बाधित हो गई है। अमेरिका और उसके सहयोगी देश जैसे-जैसे रूस पर प्रतिबंध लगाते जा रहे हैं,वैसे-वैसे वहां से आयात करने वाले देशों के सामने कठिनाई बढ़ती जा रही है। इसके अलावा एक ओर जहां रूस से कच्चे तेल की आपूर्ति प्रभावित हो रही है, वहीं सऊदी अरब जैसे देश तेल का उत्पादन बढ़ाने से इन्कार कर रहे हैं। इसी कारण कच्चे तेल के दाम भी बढ़ते जा रहे हैं। इससे अन्य देशों की तरह भारत भी प्रभावित हो रहा है। बीते दिनों संसद में महंगाई के सवाल पर इसी बात का उल्लेख वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया,चूंकि भारत को अपनी जरूरत के 80 प्रतिशत से अधिक पेट्रोलियम उत्पाद आयात करने पड़ते हैं, इसलिए जब उनके दाम बढ़ते हैं तो देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ता है ।

जैसा कि इन दिनों पड़ रहा है। कच्चे तेल के दामों में वृद्धि का सिलसिला बढ़ने के साथ ही मुनाफाखोर भी सक्रिय हो जाते हैं और उसके चलते भी कई वस्तुओं के दाम बढ़ने लगते हैं। यूक्रेन संकट के कारण वर्तमान में कच्चे तेल के दाम 105 डालर प्रति बैरल के आसपास चल रहे हैं। इसके चलते देश के तमाम शहरों में पेट्रोल की कीमतें 100 रुपये प्रति लीटर के आंकड़े को पार कर गई हैं।डीजल की स्थिति भी अलग नहीं। इसके साथ जेट ईंधन और गैस के दाम भी बढ़ रहे हैं। इसका असर आवाजाही की लागत पर पड़ने के साथ ही तमाम आवश्यक वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि के रूप में भी दिख रहा है। अपने देश में पेट्रोलियम की खपत बढ़ने का एक कारण अधिकांश क्षेत्रों में सुगम यातायात न होना भी है। यह सही है कि राज्य सरकारें यातायात व्यवस्था को रातों रात ठीक नहीं कर सकतीं, लेकिन वे इस व्यवस्था को सुधारने की दिशा में ठोस कदम तो उठा ही सकती हैं।

यातायात को व्यवस्थित करने के साथ आम लोगों को पेट्रोलियम पदार्थों की बचत के लिए भी प्रेरित करना होगा। ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का इस्तेमाल बढ़ाने के बावजूद भारत अभी उस स्थिति से दूर है, जहां वह अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से स्वयं को बचा सके। नि:संदेह आयातित पेट्रोलियम पदार्थों पर निर्भरता घटाने के प्रयासों को गति देना वक्त की जरूरत है, क्योंकि अभी जो प्रयास किए गए हैं, वे ऊंट के मुंह में जीरा जैसे हैं। क्योंकि अभी जो प्रयास किए गए हैं, वे ऊंट के मुंह में जीरा जैसे हैं।

Also Read: Weather today Delhi : मौसम विभाग के वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया की दिल्ली में आने वाले हफ्ते पड़ सकती है रिकार्ड तोड़ गर्मी

रिर्पोट – शिवी अग्रवाल

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.