इस्लामाबाद: पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा पर हालात एक बार फिर बिगड़ गए। शुक्रवार रात दोनों देशों के सैनिकों के बीच जमकर गोलीबारी हुई। हालांकि इस गोलीबारी में किसी के हताहत होने या नुकसान की खबर नहीं है। दो महीने पहले ही दोनों देशों के बीच सीजफायर लागू हुआ था लेकिन शुक्रवार की रात हुई फायरिंग ने एक बार फिर इस आशंका को बल दिया है कि कहीं दोनों देशों के बीच यह झड़प जंग में न तब्दील हो जाए। सीजफायर उल्लंघन के लिए दोनों देशों ने एक-दूसरे को दोषी ठहराया है।
दोनों ने एक-दूसरे पर लगाए आरोप
पाकिस्तान के एक लोकल पुलिस अधिकारी मोहम्मद सादिक ने दावा किया कि गोलीबारी अफगानिस्तान की ओर से शुरू हुई और पाकिस्तानी सैनिकों ने चमन बॉर्डर क्रॉसिंग के पास जवाबी गोलीबारी की, जो एक अहम ट्रांज़िट रूट है। उधर, काबुल में अफ़गान तालिबान सरकार के प्रवक्ता, ज़बीहुल्लाह मुजाहिद ने पाकिस्तान पर गोलीबारी का आरोप लगाया। मुजाहिद ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, “बदकिस्मती से, आज शाम, पाकिस्तानी सेना ने एक बार फिर कंधार के स्पिन बोल्डक जिले में अफ़गानिस्तान पर हमले किए, जिससे इस्लामिक अमीरात की सेना को जवाब देना पड़ा।” अफ़गानिस्तान के शासक तालिबान अपने प्रशासन को इस्लामिक अमीरात कहते हैं। अफ़गान बॉर्डर पुलिस के प्रवक्ता अबीदुल्लाह फारूकी ने कहा कि पाकिस्तानी सेना ने पहले अफ़गान सीमा पर स्पिन बोल्डक बॉर्डर इलाके में एक हैंड ग्रेनेड फेंका, जिसके बाद जवाब दिया गया। उन्होंने कहा कि अफ़गानिस्तान सीज़फ़ायर के लिए तैयार है।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के प्रवक्ता मुशर्रफ जैदी ने सोशल मीडिया एक्स पर कहा कि शाम को पहले, “अफगान तालिबान सरकार ने चमन बॉर्डर पर बिना उकसावे के फायरिंग की।” उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तानी सेना पूरी तरह अलर्ट है और देश की क्षेत्रीय अखंडता और अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

अक्तूबर में झड़प के बाद एक फिर सीमा पर तनाव
बता दें कि अक्टूबर में बॉर्डर पर हुई जानलेवा झड़पों के बाद एक बार फिर तनाव बढ़ गया है। अक्तूबर में सीमा पर हुई झड़प में दर्जनों सैनिक, आम नागरिक मारे गए और दोनों देशों के सैकड़ों लोग घायल हुए थे। 9 अक्टूबर को अफगान राजधानी काबुल में हुए धमाकों के बाद हिंसा भड़की, जिसके लिए तालिबान सरकार ने पाकिस्तान को दोषी ठहराया और बदला लेने की कसम खाई थी। पाकिस्तान की वायुसेना ने अफगानिस्तान के कई इलाकों में बमबारी भी की थी जिसके बाद दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात हो गए थे। दोनों देशों के बीच सीमा पर हुई यह लड़ाई हाल के वर्षों में हुई सबसे भीषण लड़ाई थी। कतर की मध्यस्थता से हुए सीजफायर ने तनाव को कुछ हद तक कम किया, लेकिन बाद में इस्तांबुल में हुई शांति वार्ता से कोई समझौता नहीं हो सका।
बता दें कि पाकिस्तान ने अपने यहां हुए ज़्यादातर आतंकवादी हमलों के लिए तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान या TTP को दोषी ठहराया है। हालांकि TTP अफगान तालिबान से अलग है, लेकिन यह उसके साथ करीबी तौर पर जुड़ा हुआ है। TTP कई लड़ाके पाकिस्तान के खिलाफ हैं। माना जाता है कि 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से वे अफ़गानिस्तान में शरण लिए हुए हैं। इसी मुद्दे पर दोनों देशों के रिश्ते और खराब हो गए हैं।