नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को दिल्ली में आयोजित ‘सिंधी समाज सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए ऐसा बयान दिया, जिससे पाकिस्तान (Pakistan) में हलचल मच सकती है. उन्होंने कहा कि भले ही आज भौगोलिक रूप से सिंध भारत का हिस्सा नहीं है, लेकिन सभ्यतागत रूप से सिंध हमेशा भारत का अभिन्न अंग रहेगा और भविष्य में सिंध फिर से भारत में वापस आ सकता है. उन्होंने कार्यक्रम में बोलते हुए कहा, ‘आज सिंध की भूमि भारत का हिस्सा नहीं हो सकती है, लेकिन सभ्यता की दृष्टि से सिंध हमेशा भारत का हिस्सा रहेगा और जहां तक जमीन की बात है, सीमाएं बदल सकती हैं. कौन जानता है, कल सिंध फिर से भारत में वापस आ जाए.’ उनका ये बयान मई में हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव के वक्त आया है. उन्होंने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान पाकिस्तान का सिंध राज्य सिंधी समुदाय के सदस्यों का मूल स्थान है जो भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा हैं. सिंध सिंधु घाटी सभ्यता का उद्गम स्थल भी है.
रक्षा मंत्री ने विभाजन के दशकों बाद भी सिंधी हिंदुओं के इस क्षेत्र के साथ भावनात्मक और सांस्कृतिक संबंध पर चर्चा करते हुए वरिष्ठ BJP नेता लाल कृष्ण आडवाणी का उल्लेख किया. उन्होंने आगे कहा, ‘मैं यहां लाल कृष्ण आडवाणी का भी जिक्र करना चाहूंगा. उन्होंने अपनी एक किताब में लिखा है कि सिंधी हिंदू, खासकर उनकी पीढ़ी के हिंदू, अभी-भी सिंध को भारत से अलग करने को स्वीकार नहीं कर पाए हैं. सिर्फ़ सिंध में ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में हिंदू सिंधु नदी को पवित्र मानते हैं. सिंध के कई मुसलमान भी मानते हैं कि सिंधु नदी का पानी मक्का के आब-ए-ज़मज़म से कम पवित्र नहीं है. ये आडवाणी का कथन है.’
इसी कार्यक्रम में रक्षा मंत्री ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का भी जोरदार ढंग से बचाव किया. उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों में हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई अल्पसंख्यकों पर सालों से भयानक अत्याचार हो रहे हैं. उनके घर जलाए गए, बच्चे मारे गए, बेटियों पर ज़ुल्म ढाए गए, जबरन धर्मांतरण किए गए.

तुष्टिकरण की राजनीति करने वाली पुरानी सरकारों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ‘जो असली मदद के हकदार थे, उन्हें कुछ नहीं मिला. वोटबैंक के लिए एक खास समुदाय को खुश करने के चक्कर में इन पीड़ितों को अपमानित किया गया, लेकिन जिसने इनके दर्द को समझा, वो हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. इसलिए हमने CAA लाया.’ राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि CAA उन लोगों के लिए है जो 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफग़ानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए थे.
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई प्रवासियों को भारतीय नागरिकता का मार्ग प्रदान करता है. इसमें उन लोगों को शामिल किया गया है, जो 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत में प्रवेश कर चुके थे और जिन्हें प्रासंगिक आव्रजन कानूनों के प्रावधानों से छूट दी गई थी. यह कानून उन अल्पसंख्यकों को राहत देने के लिए लाया गया है, जिन्होंने अपने मूल देशों में धार्मिक उत्पीड़न का सामना किया.