बढ़ती उम्र के साथ डाइट में बदलाव भी जरूरी, जानें किस उम्र में क्‍या खाएं

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नई दिल्ली : न्यूट्रिशन शरीर के विकास के लिए जरूरी होता। सही पोषण से ही व्यक्ति का शारीरिक और मानसिक विकास होता है। क्या हम अपनी उम्र के हिसाब से सही खा रहे हैं? ये सवाल शायद सबसे पहले हमारे दिमाग में 30 साल की उम्र में आता है और जैसे-जैसे हम 40 की दहलीज पार करते जाते हैं, वैसे-वैसे ये सवाल बार-बार उठता है। क्या उम्र के हिसाब से हमारी पोषण संबंधी जरूरतें बदलती हैं? यदि हां, तो हम बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक आयु के अनुसार अपने आहार में किस प्रकार के उपयुक्त रूप से परिवर्तन कर सकते हैं?

हम जो खाना खाते हैं वह काफी हद तक एक जैसा रहता है, लेकिन जिस तरह से हम खाते हैं वह हमारी उम्र या अवस्था के आधार पर बदल सकता है। आप अभी किसी प्रकार का भोजन ले रहे हैं, इसका प्रभाव बढ़ती उम्र के साथ आपके जीवन पड़ सकता है। 1 साल की उम्र से ही हमारी बैलेंस डाइट की आवश्यकता शुरू हो जाती है। हम कितने साल जी सकते हैं ये इस बात पर निर्भर करता है कि हम किसी प्रकार का भोजन कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि व्यक्ति को किस उम्र में किस प्रकार का भोजन करना चाहिए।

बचपन में, एक बच्चे में तेजी के साथ शारीरिक, सामाजिक और विकासात्मक परिवर्तन होते हैं। बचपन के शुरुआती चरणों में, ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ जाती है। बच्चे के विकास के लिए उसे प्रोटीन और आवश्यक फैटी एसिड की जरूरत होती है, जो बेहतर तरीके से मस्तिष्क के विकास में मदद करते हैं। एक्सपर्ट के अनुसार, इसमें कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, जिंक जैसे आवश्यक मिनरल को भी जोड़ना चाहिए, क्योंकि बच्चे के किशोरावस्था में पहुंचने के लिए उसके शरीर का सही विकास होना जरूरी है।

बच्चों को भोजन करवाना थोड़ा मुश्किल होता है। क्योंकि वो आसानी से भोजन नहीं करते हैं। ऐसे में हम बच्चों को आकर्षित करने के लिए उनकी प्लेट में अलग-अलग रंग के फल और सब्जियां रख सकते हैं। गोभी, हरी चटनी और पनीर को मिलाकर एक पिनव्हील सैंडविच बनाया जा सकता है, जिसमें वह सब कुछ शामिल हो जिसकी एक बच्चे को आवश्यकता होती है। एक्सपर्ट कहते हैं, पोषक तत्वों से भरपूर रोल्स और पैटीज बच्चों को दे सकते हैं।

बढ़ती उम्र के साथ भोजन के द्वारा इस तरह के पोषण की आवश्यकता होती है, जो शरीर को स्वास्थ्य को बनाए रखने और बीमारियों को रोकने पर जोर दे। इस अवधि के दौरान पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग पोषण संबंधी आवश्यकताएं होती हैं और महिलाओं को पुरुषों की तुलना में हमेशा आयरन की ज्यादा जरूरत होती है।

एक्सपर्ट के अनुसार, महिलाओं में प्रेगनेंसी और लेक्टेशन का एक चरण होता है जहां विभिन्न पोषक तत्वों और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की आवश्यकता होती है। उन्हें अधिक प्रोटीन, फैटी एसिड, कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन और फोलिक एसिड की आवश्यकता होती है। पुरुषों को उनकी शारीरिक गतिविधि के रूप में ऊर्जा की आवश्यकता महिलाओं की तुलना में अधिक होती है, लेकिन शरीर की संरचना या मेटाबॉलिक रेट अलग हो सकते हैं।

40 या इसके बाद शरीर में मेटाबॉलिक परिवर्तन होते हैं। इसके अनुसार पोषण संबंधी जरूरतें बदल जाती हैं। डायटिशियन के अनुसार, हमें अपने आहार में अच्छे फाइटोन्यूट्रिएंट्स, अच्छे एंटीऑक्सीडेंट का उपयोग करके शरीर को स्वास्थ बनाए रखना चाहिए। ये हमारे पाचन क्रिया को दुरुस्त करने के साथ-साथ हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद करेगा।

एक्सपर्ट के अनुसार, हार्मोनल परिवर्तनों के कारण, इस उम्र में ऑस्टियोपोरोसिस, हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोगों के विकास का खतरा बढ़ जाता है। इन बीमारियों को दूर रखने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर बैलेंस डाइट का सेवन सुनिश्चित करना चाहिए। इस समय मूड स्विंग भी होते हैं। ऐसे में नट्स को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। इनमें गुड फैटी एसिड पाया जाता है। एंटीऑक्सिडेंट, फाइटोन्यूट्रिएंट्स और आयरन से भरपूर फलों और सब्जियों को आहार में शामिल करें। इनमें एवोकाडो, बेरीज और हरी पत्तेदार सब्जियां ले सकते हैं।

इस उम्र में व्यक्ति का शरीर कमजोर हो सकता है और पहले की तरह दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों को करने में असमर्थ हो सकता है। कुछ लोगों को अपना भोजन स्वयं तैयार करने में दिक्कत हो सकती है या कुछ लोग ऐसे हैं जो दांतों की समस्याओं के कारण भोजन को ठीक से चबाने या निगलने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। इससे उन्हें पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

आहार या भोजन का उद्देश्य पोषक तत्वों की कमी को दूर करना होना चाहिए। कुछ लोग बुढ़ापे में होने वाली असुविधाओं के कारण अपना भोजन छोड़ देते हैं। इस उम्र में हमेशा माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी होने का खतरा होता है। इस उम्र में प्रोटीन का सेवन कम हो जाता है। इससे मांसपेशियों को हानि हो सकती और प्रोटीन की कमी के कारण फ्रैक्चर का खतरा भी बढ़ जाता है। प्रोटीन के साथ-साथ हड्डियों (bones) को मजबूत बनाने के लिए विटामिन डी और कैल्शियम को डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए। ऐसे में सूप या सब्जी और दाल को एक साथ मिलाकर ले सकते हैं। रागी कैल्शियम का अच्छा सोर्स होने के कारण इसे आटे में मिलाया जा सकता है।

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